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दिल्ली HC का सरकार को निर्देश, एडमिशन के लिए निवास प्रमाण पत्र जुड़े नियमों पर फिर से करें विचार –


नई दिल्ली, । दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पाने वाले उम्मीदवारों के निवास प्रमाण पत्र या स्थायी निवास से जुड़े अपने मौजूदा नियम या फिर पात्रता मानदंडों पर नए नियमों का मसौदा तैयार करने पर विचार करें।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि इस तरह के संशोधन या नए नियमों में जीवन की उन वास्तविक समस्याओं को देखा जाना चाहिए जो अक्सर छात्रों को आकस्मिक परिस्थितियों के कारण अपना निवासी राज्य छोड़ने के लिए मजबूर करते हैं।

उक्त टिप्पणी करते हुए अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय और गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के एमबीबीएस/बीडीएस पाठ्यक्रमों के लिए दिल्ली कोटा या दिल्ली क्षेत्र के उम्मीदवार प्रवेश नियमों को बरकरार रखते हुए की। उक्त नियम दिल्ली से 11वीं व 12वीं कक्षा पूरी करने वाले उम्मीदवारों को 85 प्रतिशत प्रवेश सीटें प्रदान करते हैं। भले ही उनका जन्मस्थान या राष्ट्रीय राजधानी में स्थायी निवास कुछ भी हो, जबकि 15 प्रतिशत सीटें अखिल भारतीय आधार पर प्रतियोगिता के लिए खुली होती हैं।

नीट उम्मीदवार ने दी थी चुनौती

इस नियम को चुनौती देते हुए नीट-2023 के उम्मीदवार ने कहा कि दिल्ली का स्थायी निवासी होने के बावजूद दोनों विश्वविद्यालयों में दिल्ली कोटा या दिल्ली क्षेत्र के उम्मीदवार की श्रेणी में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उसके पिता का तबादला होने के कारण वह वर्ष 2019 में कोलकाता चला गया था और इसके कारण उनकी 9वीं से 12वीं कक्षा की शिक्षा वहीं पूरी की थी।

अदालत ने कहा कि मौजूदा नियम उन छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं जो मूलरूप से दिल्ली के हैं, लेकिन उन्हें उन परिस्थितियों के लिए दंडित किया जाता है जो उनके बस में नहीं है। ऐसे में दिल्ली सरकार को मौजूदा नियमों पर फिर से विचार करना चाहिए या इसके संबंध में शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में पात्रता मानदंड पर नए नियमों का मसौदा तैयार करने पर विचार करना चाहिए।