बंगाल

नयी बाबरी मस्जिद मामलेमें हुमायूं कबीर टीएमसीसे निलंबित


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मुर्शिदाबाद (एजेंसी)। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बाबरी जैसी मस्जिद की नींव रखने को लेकर छह दिसंबर को आयोजन का एलान करने वाले हुमायूं कबीर को तृणमूल कांग्रेस ने निलंबित कर दिया है। अपने निलंबन को लेकर विधायक हुमायूं ने भी टीएमसी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि मैं कल ही पार्टी से इस्तीफा दे दूंगा। अगर जरूरत पड़ी तो 22 दिसंबर को मैं नई पार्टी का एलान करुंगा। टीएमसी के कद्दावर नेता फिरहाद हकीम ने हुमायूं कबीर के निलंबन की जानकारी देते हुए कहा, हमने गौर किया कि मुर्शिदाबाद से आने वाले हमारे एक विधायक ने एलान किया है कि वे बाबरी मस्जिद बनाएंगे। आखिर अचानक बाबरी मस्जिद क्यों? हमने उन्हें पहले ही चेतावनी दी थी। हमारी पार्टी के फैसले के मुताबिक, हम हुमायूं कबीर को निलंबित कर रहे हैं। फिरहाद हकीम ने आगे कहा कि यह पार्टी अनुशासन का गंभीर उल्लंघन है, खासकर तब जब पार्टी राज्य में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि कबीर की राजनीति सांप्रदायिक आधार पर चल रही थी, जिसके खिलाफ तृणमूल की स्पष्ट नीति है। निलंबन की घोषणा के समय हुमायूं कबीर बेरहमपुर में उस मैदान में मौजूद थे जहां बाद में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की रैली प्रस्तावित थी। कबीर ने अपने निलंबन को जानबूझकर किया गया अपमान बताया और कहा कि उनकी नई पार्टी अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों में 294 में से 135 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कबीर ने आरोप लगाया कि वे मुख्यमंत्री और टीएमसी के धर्मनिरपेक्ष राजनीति पर दोहरे रुख को उजागर करेंगे और कहा कि पार्टी अल्पसंख्यकों को बहकाती रही है। है। उन्होंने कहा कि 6 दिसंबर का कार्यक्रम रद्द नहीं होगा और अगर प्रशासन अनुमति नहीं देता तो वे धरने पर बैठकर गिरफ्तारी देंगे।अपने निलंबन के बाद हुमायूं ने कहा, “जब वह (ममता बनर्जी) पहली बार सत्ता में आई थीं, तब उनके पास 182 सीटें थीं। मुझे उनकी जरूरत थी और मुझे पार्टी में शामिल किया गया। मेरे साथ यह 12-13 साल तक क्यों किया जाता रहा? मुझे पार्टी में शामिल ही क्यों किया गया? आज मुख्यमंत्री लोगों से फंड्स लेकर जगन्नाथ मंदिर बनवा रही हैं। वे दुर्गा पूजा के लिए फंड्स देते हैं। मौलवियों को हर महीने 3000 रुपये का भत्ता दिया जा सकता है। सभी भत्तों को मिला दिया जाए तो 54 हजार रुपये दिए जा रहे हैं, जबकि समितियों को हर साल एक लाख 10 हजार रुपये तक दिए जाते हैं। वे पूरी तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का काम कर रही हैं।गौरतलब है कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भाजपा में रहने के बाद फिर टीएमसी लौटकर विधायक बने हुमायूं कबीर ने छह दिसंबर को बंगाल में बाबरी मस्जिद की तर्ज पर एक मस्जिद की नींव रखने की बात कही है। छह दिसंबर का उनका चयन राजनीतिक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। उसी दिन 1992 में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। टीएमसी इस दिन को ‘संघर्ष दिवसÓ के रूप में मनाती है। राज्य सरकार ने इस साल छह दिसंबर को अवकाश भी घोषित किया है। हालांकि, इसे लेकर विपक्षी दल लगातार टीएमसी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं और आयोजन को रोकने की हिदायत भी दे रहे हैं।बंगाल के राज्यपाल की तरफ से बाबरी की तर्ज पर बन रही मस्जिद को लेकर ममता बनर्जी की सरकार को चि_ी लिखकर चिंता जताई गई थी। दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस से कबीर के बयानों और उनके नींव रखने के कार्यक्रम से किनारा कर लिया है। हालांकि, इसके बावजूद हुमायूं कबीर के तेवर नरम नहीं हैं। उन्होंने बुधवार को राजभवन की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए चेतावनी दी कि राज्य प्रशासन द्वारा उन्हें रोकने के किसी भी प्रयास का व्यापक विरोध होगा। कबीर का कई महीनों से सत्तारूढ़ पार्टी और अधिकारियों के साथ टकराव जारी है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि उनका कार्यक्रम ‘संवैधानिक अधिकारों के तहतÓ आगे बढ़ेगा और इसमें ‘लाखोंÓ लोग शामिल हो सकते हैं।राजभवन की आलोचना करते हुए उन्होंने राज्यपाल बोस द्वारा राज्य सरकार को लिखे पत्र को उन्होंने निराधार, राजनीति से प्रभावित और संवैधानिक अनुशासन से परे बताया। इस पत्र में बोस ने कानून-व्यवस्था में गड़बड़ी की आशंका जताई थी। कबीर ने कहा, ”वह निर्वाचित व्यक्ति नहीं हैं। कानून-व्यवस्था राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। उनका डर निरर्थक है और उनकी सलाह अनावश्यक है।ÓÓ मुर्शिदाबाद प्रशासन ने फिलहाल उन्हें कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी है। जिला अधिकारियों ने बताया कि कानून-व्यवस्था की समीक्षा की जा रही है। हालांकि, इस पर कबीर ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ”अगर प्रशासन हमें रोकने की कोशिश करेगा, तो रेजिनगर से बेहरामपुर तक का राजमार्ग अवरुद्ध कर दिया जाएगा। मेरा संदेश साफ है- आग से मत खेलो।ÓÓ
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