मिर्जापुर। नारी शक्ति है। घर में है तो समृद्धि का द्वार खोलती है। वहीं, नारी जब घर की दहलीज से बाहर कदम रखती है तो उसके हुनर से घर-आंगन सब उजियार हो उठता है। महिलाएं आज पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। यही कारण है कि गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। इस बदलाव के चलते ही बहुत सारी पुरानी रुढ़ियां टूटती-बिखरती हुईं दिखाई पड़ रही है।
र्जापुर जनपद की प्रगति समूह की महिलाओं ने अपने बल पर बेहतर कार्य करके आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है। आज स्थिति यह है कि ये महिलाएं सालाना 200 लाख रुपये से अधिक का उपार्जन कर रही हैं। आमदनी का यह आंकड़ा समृद्ध मीरजापुर की दशा और दिशा तय करता हुआ दिखाई पड़ रहा है।
मिर्जापुर की महिलाओं ने पशुपालन और खेती-बाड़ी में कदम रखकर अपनी आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है। 12 समूहों में काम करने वाली लगभग 200 महिलाएं सालाना 200 लाख रुपये से अधिक का उपार्जन कर रही हैं। सरकार के सहयोग से स्थापित इन समूहों ने महिलाओं के जीवन में बदलाव लाया है और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है।
पशुपालन से लेकर खेती-बाड़ी की ली कमान
पशुपालन और खेती बाड़ी मुख्य रूप से पहले पुरुषों के द्वारा ही किए जाते रहे हैं। इसमें महिलाओं की भूमिका नगण्य ही रही है, लेकिन बदलते समय के साथ आधी आबादी की भी सोच में बदलाव आया है। सरकार के प्रयासों से कदम से कदम मिलाकर आधी आबादी ने अपनी क्षमता का बेहतर प्रदर्शन कर उदाहरण प्रस्तुत किया है। 12 समूह में लगभग 200 महिलाएं हैं। इसमें सात महिलाएं जनरल स्टोर, 70 महिलाएं पशुपालन, 90 महिलाएं खेती-बाड़ी और 50 महिलाएं बटाई पर मटर और मिर्चा की खेती कर रही हैं।