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‘निंदनीय और अनुचित’, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट जज की कौन-सी टिप्पणी पर भड़के CJI चंद्रचूड़?


नई दिल्ली। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस राजबीर सहरावत द्वारा सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी करने के बाद से वह मुश्किल में घिर गए हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने राजबीर सेहरावत की आलोचनात्मक टिप्पणियों को ‘निंदनीय और अनुचित’ बताया। पीठ ने इसे सुनवाई से हटा दिया है।

‘न तो हाई कोर्ट और न ही सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च’

पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय भी शामिल थे। पीठ ने ‘न्यायिक अनुशासन’ का उल्लेख किया और कहा कि भविष्य में उच्च न्यायालयों के आदेशों पर विचार करते समय अधिक सावधानी बरती जाएगी। पीठ ने कहा कि न तो हाई कोर्ट और न ही सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च हैं और सर्वोच्चता वास्तव में भारत के संविधान की है।

राजबीर सहरावत की टिप्पणियों से दुखी पीठ

सुनवाई के दौरान मामले का स्वत: संज्ञान लेने वाली पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों से दुखी है। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश में कई चीजों के संबंध में ‘अनावश्यक’ टिप्पणियां की गई हैं। पीठ ने कहा कि न्यायाधीश उच्च न्यायालयों द्वारा पारित आदेशों से असंतुष्ट नहीं हैं और न्यायिक अनुशासन बनाए रखा जाना चाहिए।

क्या थी राजबीर सहरावत की टिप्पणी?

दरअसल, यह स्वतः संज्ञान मामला उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजबीर सेहरावत द्वारा 17 जुलाई को पारित आदेश पर आधारित था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय में यह मान लेने की प्रवृत्ति है कि वह ‘अधिक सर्वोच्च’ है।