गांधीनगर, । पीएम मोदी गुजरात दौरे पर हैं। मोदी ने शुक्रवार को गांधीनगर में अखिल भारतीय शिक्षा संघ अधिवेशन को संबोधित किया। इस दौरा मोदी ने कहा कि जब भारत विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, ऐसे में शिक्षकों की भूमिका और बढ़ जाती है। एक जमाने में गुजरात में ड्रॉप आउट रेट 40% के आसपास रहता था, लेकिन आज यह 3% रह गया है। यह गुजरात के शिक्षकों के सहयोग से ही हो पाया है।
आज की पीढ़ी के छात्र निडर
मोदी ने कहा कि आज शिक्षकों के सामने संसाधनों की चुनौती दूर हो रही है, लेकिन आज की पीढ़ी के छात्रों की जिज्ञासा शिक्षकों के लिए चुनौती बन गई है। ये छात्र आत्मविश्वास से भरे हैं, ये निडर हैं। उनकी जिज्ञासा शिक्षकों को चुनौती देती है। मोदी ने आगे कहा, ‘गूगल से छात्रों को आंकड़ें मिल सकते हैं, लेकिन निर्णय तो खुद ही लेना पड़ता है। एक गुरु ही छात्र को सीखा सकता है कि वे अपनी जानकारियों का सही उपयोग कैसे करें। तकनीक से जानकारी मिल सकती है, लेकिन सही दृष्टिकोण शिक्षक ही दे सकता है।
शिक्षकों के साथ अनुभवों से मिली नीतियां बनाने में मदद
गुजरात में शिक्षकों के साथ मेरे जो अनुभव रहे, उसने राष्ट्रीय स्तर पर भी नीतियां बनाने में हमारी काफी मदद की है। जैसे- स्कूलों में शौचालय न होने के कारण बड़ी संख्या में बेटियां स्कूल छोड़ देती थीं। इसलिए हमने विशेष अभियान चलाकर स्कूलों में बेटियों के लिए अलग से शौचालय बनवाए।
मोदी ने सुनाया भूटान, सऊदी अरब का किस्सा
मोदी ने इस दौरान भूटान और सऊदी अरब का किस्सा भी सुनाया। मोदी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री बनने के बाद मेरी पहली विदेश यात्रा भूटान की हुई थी। भूटान राज परिवार के सीनियर ने मुझे गर्व से बताया कि मेरी पीढ़ी के जितने लोग भूटान में हैं, उन सब को हिंदुस्तान के शिक्षकों ने पढ़ाया-लिखाया है। ऐसे ही जब मैं सऊदी अरब गया तो वहां के किंग ने मुझसे कहा कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं क्योंकि बचपन में मेरा शिक्षक तुम्हारे देश का था, तुम्हारे गुजरात का था।’
आजादी के बाद अंग्रेजी की तरफ हुआ झुकाव
मोदी ने ये भी कहा, ‘यह दुर्भाग्य की बात है कि आजादी के बाद से माता-पिता द्वारा हिंदी को शिक्षा की भाषा के रूप में नजरअंदाज करते हुए अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को शिक्षित करने की ओर झुकाव शुरू हुआ। यह बड़े सौभाग्य की बात है कि आज सरकार मातृभाषा में शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठा रही है।’ मोदी ने कहा कि आप सोचते होंगे कि आप गणित, विज्ञान या कोई अन्य विषय पढ़ा रहे हैं, लेकिन छात्र आपसे सिर्फ वो विषय नहीं सीख रहा। वो ये भी सीख रहा है कि अपनी बात कैसे रखनी चाहिए। वो आपसे धैर्य रखने, दूसरों की मदद करने जैसे गुण भी सीख रहा है।