चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नीति आयोग के सामने पाकिस्तान की सीमा के साथ लगने वाले क्षेत्रों में इंडस्ट्री की सुविधाएं बढ़ाने के लिए पैकेज देने की मांग करते हुए कहा कि हमें पैसे नहीं चाहिए लेकिन इन क्षेत्रों बिजनेस के लिए केंद्र पंजाब का सहयोग करे।
आज एमएसएमई के एक सेमीनार में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने यह मांग नीति आयोग के उपचेयरमैन सुमन बेरी और सदस्य डॉ रमेश चंद के सामने रखी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ पंजाब की 532 किलोमीटर की सीमा है और उनके साथ खराब हुए रिश्तों का सबसे बड़ा असर पंजाब पर पड़ा है।
संकट में है पंजाब: सीएम मान
उन्होंने नीति आयोग के उपचेयरमैन से कहा कि देश को जिस भी चीज की जरूरत पड़ी है, उसे पूरा करने में पंजाब आगे आया है। चाहे वह अन्न सुरक्षा का मामला हो या देश की सीमाओं की रक्षा का। अब पंजाब संकट में है, तो उसे केंद्र सरकार से भी यही आशा है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग केंद्र सरकार को समय-समय सुझाव देता रहता है, उन्हें हमारी यह बात उनके सामने रखनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब ने खेती में ही नहीं बल्कि इंडस्ट्री में भी बड़े झंडे गाड़े हैं लेकिन पड़ोसी पहाड़ी राज्यों को टैक्स हॉलीडे देने का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। हमारी एक तरफ हिमाचल है, तो दूसरी ओर जम्मू कश्मीर है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब देश की पहली रक्षा पंक्ति है। 532 किलोमीटर की सीमा केवल पाकिस्तान के साथ लगती है। हमें बीएसएफ के साथ काम करना पड़ता है। सीमा पार से अक्सर ड्रोन आते हैं, उसका सामना पंजाब को करना पड़ता है।
एमएसएमई में सबसे ज्यादा रजिस्ट्रेशन पंजाब से
पंजाब की औद्योगिक नीति पर नीति आयोग के उपचेयरमैन सुमन बेरी से सुझाव मांगते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने कई बड़े परिवर्तन किए हैं, ताकि पंजाब में ज्यादा से ज्यादा निवेश के लिए बड़े औद्योगिक घराने आएं। उन्होंने सेमीनार में मौजूद एमएसएमई इंडस्ट्री से भी कहा कि वे निवेश के लिए कंपनियों को पंजाब में आने का आग्रह करें।
उन्होंने कहा कि एमएसएमई में पंजाब पहले नंबर पर है। पिछले दिनों ही राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में यह आंकड़ा दिया गया था कि पंजाब में सबसे ज्यादा एमएसएमई की रजिस्ट्रेशन हुई हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि एमएसएमई हमारी नींव है।
‘हम वैकल्पिक फसलों की तरफ बढ़ना चाहते हैं’
मुख्मयंत्री ने नीति आयोग के सदस्यों के सामने पंजाब को गेहूं और चावल के चक्कर से बाहर निकालने की मांग भी रखी। उन्होंने कहा कि इस बार 180 लाख टन धान दे रहे हैं। इसके लिए हमें बड़ी कीमत देनी पड़ रही है क्योंकि हमारा भूजल गिर रहा है। उन्होंने कहा कि हम वैकल्पिक फसलों की ओर बढ़ना चाहते है। हमने केंद्र से कहा है कि आपको जो भी चाहिए हम पैदा करके दे देंगे लेकिन हमें गेहूं, चावल के चक्कर से निकालो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फल, सब्जियां पंजाब में पैदा करके निर्यात करवा सकते हैं। उज्जबेकिस्तान, कजाकिस्तन जैसे देशों में इनकी सबसे ज्यादा मांग है। वे लैटिन अमेरिका से मंगवाते हैं। अगर हमें अमृतसर से यह एक्सपोर्ट करने की इजाजत मिल जाए तो उनको भी यह सस्ता पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने पंजाब से निर्यात होने वाले सामान का डाटा भी दिया। नीति आयोग से मुख्यमंत्री ने चार ट्रेन की मांग रखते हुए कहा कि इससे सामान कांडला बंदरगाह पर भेजा जा सकेगा।
‘महिलाओं के बिना नहीं कर सकते तरक्की’
नीति आयोग के सदस्य डॉ रमेश चंद की उद्योगों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के सुझाव पर मुख्यमंत्री ने कहा कि संगरूर में ‘पहल’ नाम से सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर महिलाओं से सामान बनाने को कहा गया है। हमने सभी स्कूलों से कहा है कि वे अपनी वर्दी यहां से सिलवाएं। उन्होंने बताया कि यहां 100 महिलाओं का एक ग्रुप है और 1.5 करोड़ की टर्न ओवर हो गई है। अब पंजाब पुलिस की वर्दी भी यही तैयार होगी। हम इसे प्रदेश स्तर पर ले जाना चाहते हैं।
चीन की उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वहां कोई महिला खाली नहीं है। घर-घर में कोई न कोई काम कर रही हैं। कोरोना के बाद हमें पता लगा कि हम चीन पर कितना निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि यह सही है कि जब तक महिलाओं को काम पर नहीं लगाया जाता, तब तक हम तरक्की नहीं कर सकते।