राजौरी, : 29 अगस्त, 2020 की रात। श्रीनगर के पंथाचौक के साथ सटे मोहल्ले में आतंकियों के साथ भीषण मुठभेड़ के दौरान एएसआइ बाबू राम को अपने स्वजन का ख्याल आया था। बाबू राम की बेटी सानवी शर्मा बताती हैं कि उस रात करीब 10:30 बजे पापा का फोन आया और उन्होंने बस इतना ही कहा था कि एक आपरेशन पर जा रहा हूं। सानवी और बाबू राम की पत्नी रीना देवी बताती हैं, उस रात घर पर किया वह उनका आखिरी फोन था। खुद एक पुलिस परिवार की बेटी और एक पुलिस परिवार में ही पुत्रवधू बनकर आई रीना के लिए बाबू राम का आतंकरोधी कार्रवाई में जाना हैरानी या परेशानी की बात नहीं थी, लेकिन यह बाबू राम का आखिरी आपरेशन बन गया। बता दें कि 48 वर्षीय एएसआइ बाबू राम 1999 में जम्मू कश्मीर पुलिस में सिपाही के तौर भर्ती हुए थे।
मेरा बेटा भी पुलिस में जाने को बेताब : शहीद बाबू राम की पत्नी रीना ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमें अशोक चक्र जैसा सम्मान राष्ट्रपति के हाथों मिला है। उन्होंने कहा कि मेरे पति ने कभी भी अपनी जान की परवाह नहीं की। उन्होंने डट कर आतंकियों से मुकाबला किया और अधिकतर समय कश्मीर में ही रहे। उन्होंने कहा कि अब मेरा बड़ा बेटा माणिक भी अपने पिता की तरह पुलिस में जाने को बेताब है और उसके अंदर मैं उसी तरह से जुनून देखती हूं। रीना का कहना है कि मेरे पति के नाम से कश्मीर में आतंकी कांप जाते थे। शहीद बाबू राम के तीन बच्चों में से सबसे बड़ा 18 साल का माणिक है, जो 12वीं का छात्र है। वह कबड्डी का खिलाड़ी है। छोटा बेटा केतन और बेटी सानवी स्कूल में पढ़ते हैं।