नई दिल्ली, : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समाचार एजेंसी एएनआइ को दिए इंटरव्यू में कृषि कानूनों पर खुलकर बात की। पीएम मोदी ने बुधवार को कहा कि, केंद्र सरकार द्वारा किसानों के लाभ के लिए लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने लगभग एक साल तक दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन किया। लेकिन देश हित में तीनों कानूनों को वापस ले लिया गया। मैंने पहले भी यह कहा है कि किसानों के लाभ के लिए कृषि कानून लाए गए थे, लेकिन अब देश के हित में वापस ले लिए गए हैं। मुझे नहीं लगता कि इसे अब और समझाया जाना चाहिए। भविष्य की घटनाओं से यह स्पष्ट हो जाएगा कि क्यों ये कदम आवश्यक थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि, उन्होंने हमेशा किसानों के हित के लिए काम किया है, और उन्होंने हमेशा उनका समर्थन किया है। उन्होंने कहा, मैं वह हूं जो किसानों का दिल जीतने की यात्रा पर है। मैं सीमांत जोत वाले किसानों के दर्द को समझता हूं। मैंने हमेशा उनका दिल जीतने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री ने कहा, मैंने देश भर के किसानों का दिल जीता है, और उन्होंने हमेशा मेरा समर्थन किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि बिलों पर किसानों के साथ बातचीत को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा, संवाद और चर्चा लोकतंत्र का आधार है। पीएम मोदी ने कहा, लोकतंत्र में देश के लोगों के साथ संवाद में शामिल होना जनप्रतिनिधियों का प्राथमिक कर्तव्य है। हमारी सरकार हमेशा इन चर्चाओं में लगी रही है, और हम इसे रोकने के पक्ष में नहीं हैं। पीएम मोदी ने कहा कि, उनका मानना है कि इस देश के आम नागरिक के पास ज्ञान का खजाना है, और सरकार उनसे प्राप्त फीडबैक पर काम करना चाहती है। किसी भी मुद्दे पर चर्चा कभी नहीं रुकनी चाहिए। मेरा मानना है कि लोगों को मेरी राय और मेरी सरकार की राय सुननी चाहिए और बातचीत हमेशा चलती रहनी चाहिए। जैसे हम बजट बनाने से पहले चर्चा करते हैं। हम नहीं मानते कि दुनिया का सारा ज्ञान ‘ज्ञान बाबाओं’ और राजनेताओं के पास है।
बता दें कि, इन तीनों कृषि कानूनों का मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के किसानों ने नवंबर 2020 से दिल्ली सीमा पर कानूनों का विरोध करना शुरू कर दिया था। किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई। हालांकि, 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा कि, केंद्र कृषि कानूनों को वापस लेगा। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद, संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में जो संगठन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे। उन्होंने 9 दिसंबर, 2021 को अपने साल भर के आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा की। 23 नवंबर, 2021 को शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान आवश्यक बिल पारित होने के बाद कानूनों को निरस्त कर दिया गया था।