News TOP STORIES नयी दिल्ली राष्ट्रीय

पीएम मोदी से चर्चा के लिए पहुँचे कश्मीरी नेता, फ़ारूक़ बोले- उम्मीद है वो हमारी बात आराम से सुनेंगे


  • केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को नई दिल्ली में जम्मू, कश्मीर के 14 नेताओं के साथ सर्वदलीय बैठक कर रहे हैं.

देश की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के साथ ही जम्मू-कश्मीर के गुपकार गठबंधन के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों डॉ फ़ारूक़ अब्दुल्लाह, महबूबा मुफ़्ती और ग़ुलाम नबी आज़ाद भी इस बैठक में शामिल हैं.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस बैठक में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह स्वागत भाषण देंगे. उसके बाद उन्हें बीते दो सालों में जम्मू-कश्मीर में किए गए विकास कार्यों के बारे में बताया जाएगा. इसके बाद एक एक कर जम्मू-कश्मीर के नेता अपनी बात रखेंगे और अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी बात रखेंगे.

पाँच अगस्त, 2019 को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किया था. इसके बाद महबूबा मुफ़्ती और फ़ारूक़ अब्दुल्लाह, उमर अब्दुल्लाह समेत जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा के कई नेताओं को महीनों तक नज़रबंद रखा गया था.

अब क़रीब दो साल बाद मोदी सरकार उन्हीं नेताओं को बुलाकर बातचीत कर रही है.

इस बैठक से पहले फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा, हमलोग मुद्दों पर बात करेंगे और उम्मीद करेंगे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री उसे आराम से सुनेंगे. फिर कोई ऐसा नतीजा निकालें जिससे रियासत में अमन आए और लोग ख़ुशहाली में रह सकें.

अनुच्छेद 370 पर मांग को लेकर पूछे गए सवाल पर फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा, “हम अपनी मांग प्रधानमंत्री के सामने रखेंगे. इस बैठक के बाद हम मीडिया से बात करेंगे.”

महबूबा मुफ़्ती के इस बयान कि ‘पाकिस्तान से बात होनी चाहिए’ पर फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा, “वो एक पार्टी की नेता हैं, उसमें मैं कुछ नहीं कह सकता. उनका एजेंडा अलग है, हमारा एजेंडा अलग है. मैं पाकिस्तान की बात नहीं करना चाहता. मुझे अपने वतन से बात करनी है. अपने वतन के प्रधानमंत्री से बात करनी है.”

जम्मू और कश्मीर के नेताओं को बैठक के लिए प्रधानमंत्री के आमंत्रण पर फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा, “देर आए, दुरुस्त आए. अच्छा क़दम उठाया. बातचीत करके मसले हल करने की ज़रूरत है. किसी न किसी तरीक़े से इस तनाव को दूर करने की ज़रूरत है.

पीएम मोदी की बुलाई सर्वदलीय बैठक पर सीपीएम नेता यूसुफ़ तारिगामी ने कहा, “हमारी उम्मीदें हैं कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लोगों के मुद्दों को हल करने के लिए यह अच्छी शुरुआत होनी चाहिए.”