वकील ने क्या कहा?
आरोपी के वकील प्रशांत पाटिल ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम में यह निर्धारित करने की प्रक्रियाएं हैं कि कानून के साथ संघर्ष में आरोपी बच्चे (सीसीएल) को नाबालिग या वयस्क माना जाए या नहीं। इसमें लगभग 90 दिन लगते हैं।
वकील ने कहा कि यदि किसी किशोर या सीसीएल को गिरफ्तार किया जाता है, तो जांच एजेंसियों को उन्हें वयस्क मानने के लिए गिरफ्तारी के 30 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल करना होगा। आरोप पत्र दायर होने के बाद, दो महीने की प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसमें मनोवैज्ञानिक, सामाजिक मूल्यांकन और नशामुक्ति परीक्षण भी शामिल होता है।
90 दिनों के बाद होगा फैसला
वकील के अनुसार, व्यक्ति को इन प्रक्रियाओं के लिए पुनर्वास में रहने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि जांच आगे की जाती है। पाटिल ने कहा कि किशोर न्याय बोर्ड नियमित रिपोर्टों और शिकायत रिपोर्टों के माध्यम से मूल्यांकन की निगरानी करता है और लगभग 90 दिनों के बाद निर्णय लेता है कि नाबालिग या सीसीएल को वयस्क के रूप में माना जाए या नहीं।