बता दें कि राजपक्षे का विमान गुरुवार की शाम करीब 7: 12 बजे सिंगापुर एयरपोर्ट पर उतरा था। गोटाबाया ने सिंगापुर पहुंचने के बाद ही अपना इस्तीफा ईमेल के जरिए श्रीलंका की संसद के स्पीकर को भेजा था। गौरतलब है कि बीते तीन दिनों में गोटाबाया ने अपने लिए दूसरा देश तलाशा है। लेकिन इस बीच एक बड़ा सवाल ये भी सामने आ रहा है कि आखिर उन्हें श्रीलंका से बाहर निकालने में किसने मदद की थी। एएफपी के मुताबिक इसके पीछे मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशिद को बताया जा रहा है। एएफपी का कहना है कि उन्होंने ही गोटाबाया को श्रीलंका से बाहर निकलने में मदद की थी।
नाशिद ने एजेंसी को बताया है कि राजपक्षे को श्रीलंका में अपनी जान का खतरा था। उन्होंने ये भी कहा था कि वो श्रीलंका में रहते हुए गोटाबाया कभी भी इस्तीफा नहीं देते, वहां पर वो हमेशा ही अपनी जिंदगी को लेकर डरे रहते। बता दें कि सिंगापुर की सरकार ने उन्हें निजी यात्रा पर आने की अनुमति दी है। सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने साफ किया है कि न तो गोटाबाया ने सिंगापुर सरकार से वहां पर शरण मांगने की कोई अपील की है न ही सरकार ने ऐसा करने की अनुमति ही दी है।
विदेश मंत्रालय का कहना है कि गोटाबाया राजपक्षे कुछ दिन वहीं पर रुकेंगे। कुछ एएफपी ने श्रीलंका के सुरक्षा सूत्रों के हवाले से बताया है कि गोटाबाया सिंगापुर से दुबई जा सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ श्रीलंका में गोटाबाया के इस्तीफा देने से प्रदर्शनकारी काफी खुश हैं। इसके बाद प्रदर्शनकारियों के प्रवक्ता ने बताया है कि वो राष्ट्रपति और पीएम आवास को तुरंत खाली कर रहे हैं, लेकिन उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।