नई दिल्ली, प्रेट्र। अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल (Attorney General K K Venugopal) ने पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) व राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई पर अवमानना की कार्यवाही को शुरू करने पर अपना विचार नहीं दिया। दरअसल CJI पर शीर्ष न्यायपालिका के खिलाफ बयान देने का आरोप है।
राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने कहा कि भारत की न्याय प्रणाली इस कदर जर्जर हो चुकी है कि कोर्ट जाकर लोगों को पछतावा होता है। उन्होंने यह भी कहा कि अब अदालतें आम आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गई हैं और सिर्फ धनी और कॉर्पोरेट वर्ल्ड के लोग ही कोर्ट का रुख करना चाहते हैं। उन्होंने न्यायपालिका के सदस्यों से हालात बदलने की दिशा में कदम उठाने की अपील करते हुए कहा कि मौजूदा प्रणाली कई कारणों से काम नहीं कर पा रही है, इसलिए जजों की नियुक्ति और उनकी ट्रेनिंग के तरीके में तुरंत बदलाव लाने की जरूरत है। जस्टिस गोगोई ने जजों की नियुक्ति में लेट-लतीफी को भी इस समस्या का एक बड़ा कारण करार दिया।
एक्टिविस्ट साकेत गोखले (Activist Saket Gokhale)ने उनसे विचार मांगा था। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और मौजूदा राज्यसभा सदस्य जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन शोषण की साजिश का मामला बंद कर दिया। मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने कहा की बहुत दिन गुजर जाने की वजह से मामला बंद किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जस्टिस एके पटनायक कमेटी को साजिश की जांच करने को कहा था। कमेटी ने कहा कि उसने यौन शोषण के मामले की जांच नहीं की है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस गोगोई को इसमें पहले ही क्लीन चिट दे दी थी।