पटना, । Bihar MLC Election: बिहार के विपक्षी महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) व कांग्रेस के बीच दरार की खबरों के बीच अब मामला फाइनल ब्रेक-अप की ओर बढ़ता दिख रहा है। आरजेडी ने बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर होने जा रहे चुनाव (बिहार एमएलसी चुनाव) में कांग्रेस काे एक भी सीट नहीं देने की घोषणा कर दी है। इसके बावजूद आरजेडी का दावा है कि चुनाव को लेकर महागठबंधन के घटक दलों में मतभेद नहीं है। हालांकि, इसपर फैसला कांग्रेस को करना है। इस बीच आरजेडी से निराश कांग्रेस विधान परिषद की सभी 24 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने जा रही है। इन सीटों के लिए कांग्रेस आलाकमान ने पर्यवेक्षक भी नियुक्त कर दिए हैं, जिनकी रिपोर्ट के आधार पर पार्टी सीट व उम्मीदवार तय करेगी। हालांकि, चुनाव में कांग्रेस के सामने मुश्किलें भी खड़ी दिख रहीं हैं।
कांग्रेस आलाकमान का होगा अंतिम फैसला
बिहार एमएलसी चुनाव को लेकर कांग्रेस आलाकमान ने प्रभारी सचिव वीरेंद्र सिंह राठौर को बिहार भेजा है। राठौर पार्टी नेताओं और संभावित उम्मीदवारों से मुलाकात कर रहे हैं। बिहार से मिले फीडबैक के आधार पर कांग्रेस आलाकमान सीटों व उम्मीदवारों को लेकर फैसला करेगा। इस बीच कांग्रेस ने महागठबंधन से अलग चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। हालांकि, इस राह में मुश्किलें भी दिख रहीं हैं।
मतदाताओं पर पकड़ बनाना बड़ी चुनौती
बताया जा रहा है कि बिहार विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार कोटे की सीटों के चुनाव के लिए अभी तक किसी भी नवनिर्वाचित जिला परिषद अध्यक्ष, प्रखंड प्रमुख या मुखिया ने अपना समर्थन नहीं दिया है। कांग्रेस से केवल दर्जन भर पंचायत समिति सदस्य जुड़े हैं। सदस्यता अभियान में एक भी नवनिर्वाचित जिला परिषद अध्यक्ष या प्रखंड प्रमुख ने कांग्रेस की सदस्यता नहीं ली है। नगरीय इलाकों में भी एक भी मेयर या मुख्य पार्षद कांग्रेस के समर्थक में नहीं दिख रहे हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस के लिए मतदाताओं के स्तर पर पकड़ मजबूत करना बड़ी चुनौती है। ऐसे में उम्मीदवारों का अपना दमखम जरूरी है। बल पर चुनावी मैदान में उतरना होगा। अब सवाल यह है कि पार्टी के पास अपने बल पर चुनाव जीतने का दम रखने वाले कितने उम्मीदवार हैं?
आरजेडी व कांग्रेस में सीटों पर था मतभेद
सूत्रों के अनुसार महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर मतभेद था। आरजेडी जो सीटें देना चाहता था, उससे कांग्रेस को इनकार था तो कांग्रेस जो सीटों की मांग रही थी, उन्हें देने के लिए आरजेडी भी तैयार नहीं हुआ। कांग्रेस ने 2015 में पूर्णिया, सुपौल, पश्चिम चंपारण और मुंगेर की सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार आरजेडी उसे समस्तीपुर, गोपालगंज, मुंगेर और पूर्णिया की सीटें देना चाहता था। कांग्रेस की मांग मुख्यत: कटिहार, दरभंगा, भागलपुर, और गया की सीटों की थी।