नई दिल्ली, एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव लोकेश चुग की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने डीयू के आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत ने लोकेश के दाखिले को बहाल कर दिया है। अदालत ने कहा कि हम विश्वविद्यालय के 10 मार्च के आदेश को नहीं बनाए रख सकते, इसलिए इसे रद्द कर रहे हैं।
चुग ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष आग्रह किया था कि 30 अप्रैल को उनके पर्यवेक्षक की सेवानिवृत्ति से पहले उन्हें अपनी पीएचडी थीसिस जमा करने की अनुमति दी जाए। 2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी की एक विवादास्पद डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग में शामिल होने पर दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक साल के लिए उनके परीक्षा में शामिल होने पर रोक लगा दी है। डीयू के इस निर्णय को चुग ने चुनौती दी थी।
चुग की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आशंका जताई कि यदि अंतरिम राहत नहीं दी गई तो विश्वविद्यालय बाद में अपनी पसंद का एक पर्यवेक्षक नियुक्त करेगा। वहीं, डीयू के वकील एम रूपल ने कहा कि चुग के साथ कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा कारण होगा और अगर अदालत हस्तक्षेप करती है तो एक गलत संदेश जाएगा।
वहीं, डीयू की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने अदालत से इस मामले में सुनवाई टालने का आग्रह किया। उन्हें एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष संविधान पीठ की सुनवाई में पेश होना था।
न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की पीठ के समक्ष रूपल ने कहा कि याचिकाकर्ता की थीसिस और उनके सुपरवाइजर की भूमिका खत्म हो चुकी है। अदालत ने पक्षों को सुनने के बाद मामले की सुनवाई 27 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी थी।