पटना

बेगूसराय: बिना मेरिट लिस्ट शिक्षक हुए फिट, कई नियोजन इकाइयों के पास नहीं है मेधा सूची


      • सूची से छेड़छाड़ कर शिक्षकों को भर्ती करने का आरोप
      • नियोजन इकाइयों ने वर्ष 2006-15 के बीच की थी भर्ती
      • 2020 में बीपी इंटर स्कूल में विजिलेंस ने ली थी एक बैठक
      • जल्द से जल्द फोल्डर उपलब्ध कराने के दिए थे निर्देश

बेगूसराय (आससे)। शिक्षा है अनमोल रतन, पढऩे का तुम करो जतन। यह ऐसा गीत है जिससे पढऩे और पढ़ाने वाले दोनों ही जागरूक होते हैं और उनका मनोबल बढ़ता है। शिक्षक ही नहीं अभिभावक भी ईमानदारी का पाठ पढ़ाते हैं, लेकिन जब शिक्षकों के नियोजन में ही ईमानदारी या पारदर्शिता नहीं बरती जाएगी तो फिर सवाल उठाने जायज हैं। हम बात कर रहे हैं जिले की कई ऐसे नियोजन इकाइयों की जिनके पास वर्ष 2006 से 2015 के बीच हुए शिक्षक बहाली की मेधा सूची है नहीं।

आश्चर्य यह कि इस सूची के बिना ही मनमर्जी से नियोजन कर लिया गया। इसका उदाहरण है लाखो पंचायत। यहां इसको लेकर कांड संख्या 117/2016  के तहत प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई, लेकिन अब तक क्या कार्रवाई हुई यह तो विभाग ही जाने। कहा जा रहा है कि कुछ नियोजन इकाई के पंचायत सचिव गोलोक वासी हो चुके हैं। वर्तमान में कार्यरत सचिव कह रहे हैं कि मेरे पास मेधा सूची उपलब्ध ही नहीं है। अब सवाल उठता है कि मेधा सूची का फोल्डर कौन लील गया?

ज्ञात हो कि 19 दिसंबर 2020 को इसी मामले को लेकर बीपी इंटर स्कूल में विजिलेंस की एक बैठक हुई थी जिसमें डीपीओ स्थापना और सभी प्रखंड के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी एवं बीआरपी और कई पंचायत नियोजन इकाई के सचिव शामिल हुए थे। बैठक में कुछ नियोजन इकाइयों ने कहा था कि मेरे पास सूची का फोल्डर नहीं है। यह बात भी सामने आई थी कि जिस समय नियोजन प्रक्रिया चल रही थी उस समय कोई और पंचायत सचिव थे।

कुछ पंचायत नियोजन इकाई के सचिव इस दुनिया में हैं ही नहीं तो फोल्डर कहां से ला कर दें। लेकिन कड़ा रुख अपनाते हुए कहा गया था कि जो भी नियोजन इकाई के वर्तमान सचिव हैं उन्होंने पदभार कैसे ग्रहण किया। क्या प्रभार ग्रहण करते समय उन्हें सूची उपलब्ध नहीं कराई गई थी। अगर उपलब्ध नहीं करवाई गई थी तो फिर इसकी सूचना शिक्षा विभाग को क्यों नहीं दी गई। संबंधित के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं करवाई गई। आदेश दिया गया था कि आप जल्द से जल्द फोल्डर विभाग को उपलब्ध कराएं।

नगर निगम के 113 फोल्डर भी विभाग के पास नहीं

बताते चलें कि नगर निगम नियोजन इकाई के भी लगभग 113 फोल्डर शिक्षा विभाग के पास नहीं है। इसके कई कारण सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि जिस समय शिक्षक का नियोजन हुआ था उस समय डीईओ कार्यालय में प्रारंभिक शिक्षकों से सम्बंधित कोई कार्य नहीं होता था। इसकी देखरेख डीएसई कार्यालय में होती थी। विदित हो कि कुछ शिक्षक के दस्तावेज सही होते हुए भी आमजनों के निगाह में वह दोषी करार दिए जा रहे हैं जबकि गलत तरीके से बहार शिक्षक मौज काट रहे हैं।

2011-12 में डीएसई कार्यालय डीईओ कार्यालय में मर्ज हुआ

वर्ष 2011-12 में डीएसई कार्यालय जब डीईओ कार्यालय में मर्ज हुआ तो उस दरम्यान कई फोल्डर इधर से उधर हो गए। इस मामले में शिक्षा विभाग जहां फोल्डर नहीं मिलने की बात कह रहा वहीं नगर निगम की ओर से कहा जा रहा है कि मैंने फोल्डर जमा करवा दिया था। सबसे बड़ा सवाल कि अगर फोल्डर जमा करवाया गया था तो उसकी एक छाया प्रति कार्यालय में जरूर होगी। इस छाया प्रति से पता चलेगा कि शिक्षक नियोजन में कहां फर्जीवाड़ा हुआ।