नरेंद्र सिंह तोमर। इस समय पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाने में जुटा है। ऐसे में यह समय स्वतंत्र भारत की अब तक की यात्रा का विश्लेषण कर भविष्य के नए लक्ष्य स्थापित करने का भी है। स्वतंत्रता के इन साढ़े सात दशकों में यदि ऐसे नेतृत्व की बात करें जिसने सुशासन और शुचिता को पुनस्थार्पित करते हुए भारत के नवनिर्माण की नींव रखी हो तो मेरी स्मृति में स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का नाम सबसे ऊपर आता है। वह ऐसे शिखर पुरुष थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति में सर्वमान्यता एवं स्वीकार्यता का नया अध्याय लिखा और अन्य दलों के नेताओं के हृदय में भी अपने लिए उतना ही स्थान बनाया, जितने कि वह अपनों के बीच लोकप्रिय थे।
रत की राजनीति में शुचिता एवं सुशासन के पुनस्र्थापक के रूप में अटल जी सदैव याद किए जाते रहेंगे। उन्होंने जीवनर्पयत जो राजनीति की वह पद, पैसे अथवा किसी अन्य लोभ के लिए नहीं की। वह राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित मां भारती के ऐसे लाल थे, जिनका अवदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। इसीलिए राष्ट्र नवनिर्माण की नींव धरने वाले युगप्रवर्तक अटल जी के जन्मदिवस को आज संपूर्ण राष्ट्र ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाता है। यह कहते हुए गर्व की अनुभूति होती है कि अटल जी के हाथों 21वीं सदी के जिस उदीयमान भारत की नींव रखी गई, उसी नींव पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘आत्मनिर्भर भारत’ की बुलंद इमारत खड़ी कर रहे हैं।