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भारत में सूर्यग्रहण का मान नहीं


विद्वानों ने कहा-पूरी श्रध्दा और विश्वास से करें श्राद्ध-कर्म
पितृ अमावस्या 21 सितंबर को सूर्यग्रहण लग रहा है लेकिन यह भारत में नहीं दिखाई देगा और इसी कारण इसका सूतक भी नहीं लगेगा। इसका मान नहीं होगा। विद्वानों ने सलाह दी है कि पितृ अमावस्या पूर्ववत श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। किसी भ्रम में न रहें। पितरों के निमित्त दीपदान और तर्पण करें। पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन रविवार को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लग रहा है, जो देश में न दिखने से मान्य नहीं होगा और धार्मिक कार्य अपने समयानुसार होंगे। आचार्य ने बताया कि ग्रहण आश्विन कृष्णपक्ष की अमावस्या को कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा।
सूतक नहीं, समय से करें तर्पण
कर्मकाण्डी विद्वान पंडित राजेश पाठक के अनुसार सूर्यग्रहण का अपने भारत में कोई असर नहीं है। इसलिए ग्रहण का सूतक भी नहीं लगेगा। किसी भी प्रकार के भ्रम में न रहें। श्राद्ध कर्म करें। सनातम धर्म से जुड़े परिवार अपने घर अथवा गंगा तट पर पितरों का तर्पण करें और उनको पूजा अर्चना के बाद क्षमा याचना के साथ फिर से स्वर्गलोक भेजे।
श्राद्ध अमावस्या पर निकलेंगे जल पत्तल
पंडित रामानुज द्विवेदी ने बताया कि किसी सदस्य की किसी भी कारण से मृत्यु हो जाती है, तो उसका पहला श्राद्ध गंगा तट पर अमावस्या को किया जाता है।
पितरों का पूजन (श्राद्ध, तर्पण आदि) मनुष्य के जीवन में कृपा बरसाने वाला, सुख-शान्ति, धन-समृद्धि और पुत्र-पौत्र देने वाला होता है। किसी शुद्ध स्थान पर जमीन में रोली से सतिया (स्वास्तिक) बनाएं और फिर उस पर जल व रोली के छींटे लगाकर पुष्प चढ़ा दें। तर्पण करें और भोजन कराएं।
पूर्वजों का करें स्मरण
इस दिन सुबह स्नान करने के बाद गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए। माना जाता है कि इससे पितर तृप्त होते हैं। पितृ विसर्जनी अमावस्या को ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का स्मरण किया जाता है और उनके निमित तर्पण, दान और दीपदान होता है। १६ दिन कोई किसी कारणवश श्राद्ध नहीं कर पाएं हों तो अमावस्या के दिन अवश्य करना चाहिए। इसी के साथ पूर्वज यानी पितृ विदा होते हैं।
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