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भीषण गर्मी के बाद बरसात भी लाई आफत, झमाझम वर्षा से जलमग्न हुआ Kanpur; घुटनों तक भर गया पानी


 कानपुर। आखिर वही हुआ…जिसका अंदेशा था। सोमवार को मानसून ने अपना असर दिखाया और झमाझम वर्षा हुई तो पूरा शहर जलभराव से कराह उठा। इसके साथ ही नगर निगम के दावों और वादों की पोल भी खुल गई। नाले-नालियों और गली पिट साफ होने का अफसरों का दावा हवाहवाई ही साबित हुआ। हर साल जहां जलभराव होता है, वहां भी इस समस्या को दूर करने का ठोस निदान नहीं खोजा जा सका। रही-सही कसर सड़कों और नालियों के निर्माण में खराब इंजीनियरिंग ने पूरी कर दी।

सड़कें नीची और नालियां ऊंची होने के चलते पांच से छह घंटे बाद भी जलभराव की समस्या दूर नहीं हुई। नतीजा यह रहा कि सोमवार सुबह लोग सोकर उठे तो सड़कों और गलियों में दो से तीन फीट तक पानी भरा होने से घरों में ही कैद होकर रह गए। बरसात के सीजन में भी जगह-जगह खोदाई से सड़कों पर फैले कीचड़ में रपटकर लोग चुटहिल हो गए। पानी में फंसे लोग दोपहिया वाहन घसीटते नजर आए।

मानसून की आहट से पहले से ही दैनिक जागरण चेता रहा था कि नाले-नालियों और गली पिट की सफाई में अनियमितता बरती जा रही है। इसका खामियाजा वर्षा काल में शहरियों को झेलना पड़ेगा। जागरण विमर्श में पहुंचे पार्षदों ने भी अपने क्षेत्र में जलभराव होने की आशंका जताई थी। सोमवार सुबह झमाझम वर्षा हुई तो यह आशंका सच साबित हुई।

पहली तेज बरसात में शहर के हर गली-मुहल्ले में जलभराव से लोग परेशान रहे। परेड, डिप्टी का पड़ाव चौराहा, कल्याणपुर, नानकारी, नौबस्ता, बर्रा, गोविंद नगर, चकेरी, श्याम नगर, पनकी, आवास विकास समेत लगभग पूरा शहर जलभराव की चपेट में आ गया। वीआइपी रोड, मरियमपुर अस्पताल व जेके मंदिर के सामने, माडल रोड आदि जगहों पर पांच से छह घंटे तक दो से तीन फीट तक पानी भरा रहा।

सीसामऊ नाला भी वर्षा होने के कुछ देर के बाद भर गया। नाले का पानी सड़क पर कई फीट तक बह रहा था। इस कारण वीआइपी रोड पर वाहन चालकों को परेशानी से जूझना पड़ा। दक्षिण क्षेत्र में भी खाड़ेपुर, योगेन्द्र विहार, कर्रही, बर्रा आठ, नंदलाल से चावला चौराहे तक, साकेत नगर दीप तिराहे से जूही गौशाला चौराहे के बीच घुटनों तक पानी सड़कों पर भरा रहा।

बाबूपुरवा सेंटर पार्क, यशोदा नगर समेत इलाकों की सड़कों पर जलभराव रहा। वहीं, जूही खलवा पुल पर भी जलभराव होने से यातायात बाधित रहा। संपवेल भी काम नहीं आए। रही सही कसर बेतरतीब खोदाई ने पूरी कर दी। खोदाई के बाद सड़क से मिट्टी न उठाने के कारण कई स्थानों पर वाहन सवार फिसलकर चुटहिल हो गए।

इसलिए वर्षों बाद भी दूर नहीं हो रही परेशानी

-नाले-नालियां और गली पिट की सफाई में बरती जाने वाली अनियमितता। नालों से बिना स्लैब या अतिक्रमण हटाए ही सफाई का दावा कर दिया गया। तलीझार सफाई के नाम पर सिर्फ कुछ बाल्टी सिल्ट निकालकर काम खत्म कर दिया गया। कुल मिलाकर कागजों में ही नालों की सफाई हुआ और नतीजा जलभराव के रूप में शहर झेल रहा है।

-सड़कों और नाले-नालियों के निर्माण में खराब इंजीनियरिंग भी जलभराव की वजह बना। जेके मंदिर के सामने की सड़क का उदाहरण देखें तो यहां सड़क नीचे जबकि नालियां काफी ऊंची हैं। इससे यहां जरा सी बरसात में भी सड़क पर पानी भर जाता है और कई घंटों तक लोग जलभराव से जूझते रहते हैं।

-पिछले वर्षों के हालातों से भी नगर निगम के अफसरों ने सबक नहीं लिया। जिन जगहों पर हर साल जलभराव होता है, वहां इस समस्या को दूर करने का कोई ठोस खाका तैयार नहीं हो सका। मानसून के पहले ही तैयारी की जाती तो संभवत: यह समस्या शहर को न झेलनी पड़ती।

-सड़कों पर भरे पानी को खींचकर बाहर निकालने के लिए जगह-जगह लगाए गए संपवेल भी काम नहीं आए। इसकी वजह संपवेल की देखरेख में बरती गई लापरवाही और मोटरों को चलाने के लिए बिजली आपूर्ति की उचित व्यवस्था नहीं होना भी रहा।

नगर आयुक्त बोले- मैंने अभी संभाला है कार्यभार, जल्द दिखेगा सुधार

नगर निगम के नवनियुक्त नगर आयुक्त मदन सिंह गर्ब्याल से जब जलभराव के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मैंने हाल ही में कार्यभार संभाला है। सोमवार को सीसामऊ नाले, भैरव घाट पंपिंग स्टेशन के पास, बकरमंडी पर बने टैपिंग प्वाइंट और जूही खलवा पुल का निरीक्षण किया है। भैरवघाट पर जलभराव रोकने के लिए कच्ची नाली खोदकर भूमिगत पाइप डालकर जल निकासी के लिए कहा है।

निरीक्षण के दौरान पाया कि जूही खलवा पुल पर सात से आठ फीट पानी भरा था। 100 हार्सपावर के चार पंपों से पानी निकाला जा रहा था। बिजली कटौती के बाद जनरेटर के लिए डीजल की व्यवस्था नहीं थी। इसकी व्यवस्था दुरुस्त करने को कहा गया है। जल्द ही इस स्थिति में सुधार नजर आएगा। उधर, नगर निगम के नए मुख्य अभियंता सैयद फरीद अख्तर जैदी ने सोमवार को कार्यभार संभाल लिया। उन्होंने अवर अभियंताओं के साथ बैठक कर नाला सफाई पर जोर दिया और जलभराव न हो, इसके ठोस बंदोबस्त करने को कहा।