आपको बता दें कि यूरोपीय संघ के कुछ सदस्य देशों में इस तरह के नियम पहले से ही बने हैं जहां पर अधिक तापमान होने पर काम रोक देने का प्रावधान है। रायटर के अनुसार इस तरह के नियम समान रूप से सभी सदस्य देशों में अब तक नहीं बने हैं। जहां पर ये लागू भी हैं वहां पर तापमान की तय सीमा अलग-अलग निर्धारित की गई है।
यूरोफाउंड की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय संघ के कर्मचारी कम के कम 23 प्रतिशत अधिक तापमान होने पर भी काम करते हैं। इसमें ये भी कहा गया है कि वे अपने काम का कम से कम एक चौथाई हिस्सा इन्हीं हालातों में बिताते हैं। कृषि और दूसरे उद्योगों में इस तरह के तापमान में काम करने वाले करीब 38 फीसद लोग हैं। इन लोगों को चाहे-अनचाहे रूप में अधिक तापमान में भी काम करना ही पड़ता है।
बता दें कि अधिक तापमान में काम करने वालों को कई तरह की समस्याओं से भी दो-चार होना पड़ता है। इतना ही नहीं कई बार ऐसे कर्मी किसी बीमारी का भी शिकार हो जाते हैं। यूरोपीय ट्रेड यूनियन कॉन्फेडरेशन की मानें तो विश्व का मजदूर वर्ग सबसे अधिक जलवायु परिवर्तन को महसूस करने करने के लिए हमेशा सबसे आगे होता है। बढ़ते तापमान के साथ इनके खतरे और चुनौतियां भी बढ़ रही हैं।