नई दिल्ली, शालिनी कुमारी। मणिपुर में इन दिनों हिंसा काफी बढ़ गई है, हर तरफ आगजनी और तोड़फोड़ के कारण स्थिति काफी बेकाबू हो गई है। ऐसे में सरकार ने हर तरफ सेना की तैनाती बढ़ा दी है। इस हिंसा के कारण लगभग 9,000 लोगों को विस्थापित होना पड़ा है।
मणिपुर सरकार ने पुलिस को दिया शूट एट साइट का ऑर्डर
फिलहाल, राज्य सरकार को इस स्थिति के कारण नागरिकों की सुरक्षा का डर सता रहा है। बहुत सोच-विचार करने के बाद बीजेपी की नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार ने पुलिस को ‘शूट एट साइट’ का आर्डर दे दिया है। आपको बता दें, यह ऑर्डर बहुत ही संवेदनशील परिस्थितियों में दिया जाता है। इस ऑर्डर को जारी करने का अर्थ है कि यदि प्रशासन को कही भी कोई शरारती तत्व नजर आता है तो, वो उसे वहीं गोली मार सकते हैं।
हालांकि, शूट एट साइट को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं। जैसे कि क्या शरारती तत्व को जान से मार दिया जाता है, किन परिस्थितियों में यह ऑर्डर दिया जाता है, आखिर ये ऑर्डर कौन देता है? इस लेख के माध्यम से हम आपको ‘शूट एट साइट’ ऑर्डर से जुड़े सभी सवालों के जवाब देंगे।
क्या है शूट एट साइट ऑर्डर? (Shoot At Sight Order)
शूट एट साइट का हिंदी में अर्थ होता है कि देखते ही गोली मारने का आदेश। दरअसल, शूट एट साइट आदेश भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 144 के तहत राज्य सरकार द्वारा अमल में लाया जाता है। जब किसी क्षेत्र में हिंसा बढ़ जाती है और स्थिति संवेदनशील हो जाती है, तो ऐसी परिस्थिति में सरकार द्वारा प्रशासन को यह ऑर्डर दिया जाता है। इस ऑर्डर को भड़की हिंसा को रोकने और उपद्रवियों को नियंत्रित करने के लिए जारी किया जाता है।
इस धारा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति हथियारों या किसी ऐसी चीज से लैस है, जिसका इस्तेमाल किसी को जान से मारने के लिए किया जाता है, उसे मौके पर ही शूट करने का आदेश होता है। इसके अलावा, यदि प्रशासन को लगता है कि कोई व्यक्ति किसी अन्य के मौत का कारण बन सकता है या किसी गैर-कानूनी सभा का सदस्य है तो, उसे इसके तहत सजा दी जा सकती है।
यदि कोई तत्व काफी समय से पुलिस से भागने की कोशिश कर रहा है या जो पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश करता है। जिससे समाज को बड़ा खतरा होता है, उसके लिए प्रशासन द्वारा पुलिस को ‘शूट एट साइट’ ऑर्डर दिया जाता है। हालांकि, कोई भी पुलिस वाला बिना ऑर्डर मिले किसी व्यक्ति को अपराधी समझ कर उसे गोली नहीं मार सकता है, ऐसा करने पर उसे सजा हो सकती है।
गोली मारने का नहीं होता आदेश
हालांकि, किसी भी धारा में यह नहीं लिखा है कि इसके तहत किसी को देखते ही गोली मार दी जाए। इस आदेश के तहत किसी के पास भी किसी को भी गोली मार देने का अधिकार नहीं होता है। ऐसा इसलिए ताकि कोई अपनी आपसी दुश्मनी के लिए इस ऑर्डर का इस्तेमाल न करे। एक प्रकार से कहा जा सकता है कि ‘शूट एट साइट’ कोई आधिकारिक शब्द नहीं है।
भीड़ को तितर-बितर करने के लिए दिया जाता है ये आदेश
‘शूट एट साइट’ ऑर्डर के तहत किसी पर गोली जान से मारने के लिए नहीं चलाई जानी चाहिए, बल्कि इस आदेश के लागू होने के बाद स्थिति को नियंत्रित करने और शरारती तत्व को गिरफ्तार करने के लिए गोली चलाई जा सकती है। इसमें व्यक्ति को केवल घायल करने का निर्देश है ताकि लोगों की भीड़ को काबू किया जा सके। हालांकि, ऐसा ऑर्डर हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में भी तभी दिया जाता है, जब अन्य सभी योजनाओं अनुपयोगी साबित हो रही हो।
स्पेशल गन का किया जाता है इस्तेमाल
आपको बता दें, इस ऑर्डर के तहत कई जगह एक स्पेशल गन का इस्तेमाल किया जाता है। पुलिस को 12 बोर पंप एक्शन गन दी गई है, जो घातक या जानलेवा नहीं होती, लेकिन यह काफी असरदार होता है। हालांकि, इस गन से कोई असर नहीं होता है तो, राइफल या रिवॉल्वर/ पिस्टल से गोली चलाई जा सकती है।