नई दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को गुरुवार को तगड़ा झटका लगा. कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में उन्हें, वैभव जैन और अंकुश जैन को जमानत देने से इनकार कर दिया. स्पेशल जज विकास धूल ने मामले की सुनवाई की और कहा कि तीनों की जमानत याचिका रद्द की जाती है. आप के मंत्री सत्येंद्र जैन ने यह कहकर जमानत मांगी थी कि उन्हें लंबे समय तक लंबी अवधि में रखने के कोई भी उद्देश्य पूरा नहीं होगा. बता दें, जैन दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य, गृह, ऊर्जा और पीडब्ल्यूडी मंत्री हैं. गौरतलब है कि सत्येंद्र जैन पर फैसला 16 नवंबर को आना था, लेकिन उस वक्त वह तैयार नहीं हुआ था. विशेष जज विकास धूल ने फैसला देने से पहले सभी आरोपियों और ईडी के तर्क सुने. बता दें, ईडी ने सत्येंद्र जैन, उनकी पत्नी और 8 फर्मों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी. कोर्ट ने इस चार्जशीट को हाल ही में संज्ञान में लिया. अक्टूबर में जमानत पर बहस के दौरान सत्येंद्र जैन ने तर्क दिया था कि उनका कुसूर केवल इतना है कि वह मंत्री हैं. अन्यथा उनके खिलाफ कोई केस नहीं बनता. ईडी ने उनके खिलाफ साल 2017 में सीबीआई की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था. आरोप है कि सत्येंद्र जैन ने उनसे कथित तौर पर जुड़ी 4 फर्मों में पैसा यहां से वहां किया. आरोप है कि सत्येंद्र ने अपनी ही कोलकाता की कंपनी के जरिये हवालाकांड किया और उसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया. ईडी सूत्रों के मुताबिक, 57 साल के जैन ने सवाल-जवाब के दौरान गोल-मोल जवाब दिए थे. इसीके बाद उन्हें दिल्ली ऑफिस से हिरासत में लिया गया था. अब वह मंगलवार सुबह कोर्ट के सामने पेश होंगे. ईडी ने प्रावधिक रूप से अंकिंचन डेवेलपर्स, इंडो मेटल इंपेक्स, प्रयास इंफोसॉल्यूशंस, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स, जेजे आइडियल एस्टेट, स्वाति जैन, सुशील जैन और इंदु जैन की 4.81 करोड़ रुपये की चल संपत्ति अटैच की. इससे पहले सीबीआई ने भी सत्येंद्र जैन के खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति का केस दर्ज किया था. साल 2018 में ईडी ने उनके इस केस के सिलसिले में पूछताछ की थी.