नई दिल्ली, । रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बुधवार को मुद्रास्फीति के आंकडों को बढ़ा दिया है। मतलब बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में इजाफे की संभावना है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मु्द्रास्फीति के आंकड़ें में 1 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। इस तरह मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 5.7 फीसदी से बढ़कर 6.7 फीसदी हो गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मुद्रास्फीति बढ़ने का हमेशा जोखिम बना रहता है। हाल ही में टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, जिससे खाद्य मुद्रास्फीति में बढ़ावा हुआ है। इसके अलावा वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें में बढ़ोतरी की वजह से मुद्रास्फीति को लेकर लगातार दबाव बना हुआ है।
क्या होता है मुद्रास्फीति
मुद्रा स्फीति का मतलब बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में लगातार बढोतरी से होता हैं। मुद्रा स्फीति की स्थिति में मुद्रा की कीमत कम हो जाती है क्योंकि ग्राहक को बाजार में वस्तुएं खरीदने के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।
घरेलू मुद्रा स्फीति में बढ़ोतरी का अनुमान
मुद्रास्फीति अनुमान में बढ़ोतरी की वजह घरेलू खुदरा मुद्रास्फीति है, जो कि पिछले लगातार चार माह से बढ़ रही है। घरेलू मुद्रास्फीति आरबीआई के 6 प्रतिशत के कंफर्ट लेवल से लगातार ऊपर बनी हुई है। इसकी वजह मुख्य तौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध हो सकता है, जिसकी वजह से दुनियाभर में वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हो रहा है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने केंद्रीय बैंक की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया। इसके जून तिमाही में 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है। जबकि सितंबर तिमाही में मु्द्रास्फीति बढ़कर 7.4 फीसदी हो सकता है। दिसंबर तिमाही में मुद्रास्फीति घटकर 6.2 प्रतिशत रहा। जिसके चालू वित्त वर्ष की मार्च तिमाही (Q4) में घटकर 5.8 फीसदी रहने की उम्मीद है। इसके अलावा आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सामान्य दक्षिण-पश्चिम मानसून खरीफ बुवाई और कृषि उत्पादन को बढ़ावा देगा। हालांकि, वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति तरलता बनी हुई है और कमोडिटी बाजार भी बढ़त पर है।