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माफ‍िया अतीक अहमद ने की थी गांधी परिवार की संपत्ति भी हड़पने की कोशिश तब सोन‍िया ने द‍िया था दखल


प्रयागराज, । माफिया अतीक अहमद ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व.इंदिरा गांधी की रिश्तेदार की भी संपत्ति को हड़पने का प्रयास किया था। सिविल लाइंस में पैलेस सिनेमा के पास इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी की रिश्ते में चचेरी बहन वीरा गांधी की प्रापर्टी है, जिसे अतीक ने कब्जे में ले लिया था।

घटना वर्ष 2007 में उस वक्त हुई थी, जब अतीक अहमद फूलपुर से सांसद था। उसका दबदबा होने के कारण शहर का कोई भी अधिकारी पीड़ित की मदद के लिए आगे नहीं आया। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दखल के बाद अतीक अहमद ने मजबूर होकर वीरा गांधी को मकान की चाबी वापस कर दी थी।

हड़पी तीन करोड़ की जमीन

माफिया अतीक अहमद के सताए लोगों की बात करें तो लंबी सूची तैयार हो जाए। एक पीड़ित है धूमनगंज की सुमन, जिसकी करीब तीन करोड़ रुपये कीमत की जमीन अतीक गिरोह ने महज तीन लाख रुपये देकर हड़प ली। गयासुद्दीनपुर मोहल्ले में रहने वाली सुमन ने बताया कि पीपल गांव में उनकी कीमती पुश्तैनी जमीन है। अतीक गैंग के मोहम्मद मुस्लिम, एहतेशाम, अबू साद, सीताराम कुशवाहा आदि ने वर्ष 2015 में उनके पति शंकरलाल से जबरन एग्रीमेंट करा लिया था। उन्हें तीन लाख रुपये दिए थे। पति की मौत के बाद जमीन अब सुमन के नाम पर है।

एक दौर था जब माफिया अतीक और उसके गुर्गों का खौफ इतना था कि लोग अपनी जमीन बिना उसकी अनुमति के बेच नहीं सकते थे। माफिया अतीक के गुर्गों को जो भी जमीन, दुकान, मकान पसंद आ जाता था। उसके बारे में अतीक को बताते थे। फिर अतीक उस प्रापर्टी पर अपने हिसाब से रेट तय करता था। माफिया पैसा देने के बाद उस संपत्ति की रजिस्ट्री नहीं कराता था।

जो पैसा नही लेते उनको धमकी देता था कि बिना मेरे कहे इसको बेचा नहीं जा सकेगा। इतना ही नहीं, उस दौर में शहर के धूमनगंज, करेली, खुल्दाबाद, लूकरगंज, सिविल लाइन, जार्जटाउन से लेकर झूंसी और नैनी तक कोई बड़ी जमीन या मकान कोई बेचता था तो उसका खरीदार ग्राहक अतीक की परमिशन मिले बिना पैसा नहीं देता थे।

कई बार ऐसा होता था रजिस्ट्री करने के बाद उन्हें पता चलता था कि यह जगह पहले से अतीक गैंग को पसंद आ चुका है। ऐसे में रजिस्ट्री रद करनी पड़ती थी।अकूत संपत्ति बनाने वाला माफिया अतीक कोई भी संपत्ति की रजिस्ट्री अपने नाम नही कराता था। अगर कोई जमीन या मकान पसंद आ गया है तो पैसा देकर बिना रजिस्ट्री कराए ही उसको ले लेता था। बाद में अगर बेचना हो तो पैसा देने वाले को बुलाकर दूसरे के नाम रजिस्ट्री एग्रीमेंट करवा देता था।