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मुआवजाके बाद भवनका हुआ ध्वस्तीकरण



दालमंडीकी सड़क चौड़ी करनेके लिए जिन दो भवनस्वामियोंको मुआवजा देनेके बाद रजिस्ट्री करायी गयी उनके भवनको तोड़ने बुधवारको लोक निर्माण विभागके दस्तेने काररवाई शुरू कर दी। ध्वस्तीकरण होते ही आसपासके क्षेत्रोंमें भगदड़ मच गयी। हालांकि ध्वस्तीकरणसे पूर्व जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासनके भारी संख्यामें अधिकारी और फोर्स मौजूद थे। ध्वस्तीकरणके समय दुकानदारोंने मुआवजा कम मिलनेकी बात कही लेकिन इसको अनसुना कहते हुए अधिकारियोंने अपना काम जारी रखा। बढ़ती हुई भीड़को देखते हुए पुलिसने लोगोंको इधर-उधर करनेके लिए समझाया और उनसे कहा कि मुआवजा देनेके बाद ही ध्वस्तीकरणकी काररवाई की जा रही है। इधर जिला प्रशासनके अधिकारियोंने भी लोगोंको आश्वस्त किया कि सड़ककी लम्बाई और चौड़ाईके आधारपर जिन मकानोंको चिह्निïत किया गया है उन्हें मुआवजा देनेके बाद ही तोड़फोड़की काररवाई की जायेगी। जिन भवनोंको इसमें शामिल नहीं किया गया है उनके साथ किसी भी तरहकी काररवाई नहीं होगी। उल्लेखनीय है कि मंगलवारको एक भवनस्वामीने सम्पूर्ण धनराशि लेनेके बाद लोक निर्माण विभागके पक्षमें मकानकी रजिस्ट्री कर दी। इससे पूर्व एक अन्य मकानकी रजिस्ट्री बहुत पहले ही की जा चुकी थी। इन दोनों मकानोंका ध्वस्तीकरण किया गया। जानकारीके अनुसार कुछ भवनस्वामियोंने लोक निर्माण विभागसे सम्पर्क कर दस्तावेजमें कमियोंको दूर कर उन्हें सौंप दिया है। इस बात की सम्भावना है कि एक दो दिनके भीतर इन मकानोंकी भी रजिस्ट्री हो जायेगी। चौकसे लेकर नयी सड़कतक लगभग छह सौ मीटर लम्बी और १७.५० मीटर चौड़ी सड़क बनानेके लिए नगर निगम, तहसील और जिला प्रशासनने लगभग दो महीनेसे ज्यादा भवनोंको चिह्निïत करनेके बाद मालिकाना हक का सत्यापन किया। अब मुआवजा राशि भुगतान करनेके बाद लोक निर्माण विभाग भवनोंका अधिग्रहण करेगा। फिलहाल भारी फोर्स व्यवस्था देखते हुए लोग हिम्मत नहीं जुटा पाये और हल्ला-फुल्का नारेबाजी करते हुए वापस हो गये।