उत्तर प्रदेश

मुख्यमंत्रीने आयुष विभागके नवचयनित चिकित्सा अधिकारियोंको वितरित किये नियुक्ति पत्र


लखनऊ (आससे)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आयुष मिशन भारत की परम्परागत चिकित्सा पद्धति को प्रेरित एवं प्रोत्साहित करने का सबसे अच्छा माध्यम है। वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया को भारत की परम्परागत चिकित्सा पद्धति के बारे में सोचने को मजबूर किया। मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर मिशन रोजगार के अन्तर्गत आयुष विभाग के नवचयनित 1065 आयुर्वेद,होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारियों को नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। इन चिकित्सा अधिकारियों का चयन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा किया गया है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर 142 योग वेलनेस सेण्टर्स का उद्घाटन तथा उत्तर प्रदेश आयुष टेलीमेडिसिन का शुभारम्भ भी किया। अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि आयुष पद्धतियों यथा आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी तथा नेचुरोपैथी में अपार सम्भावनाएं हैं। केन्द्र व प्रदेश सरकार आयुष पद्धतियों को आगे बढ़ाने के लिए पूरी गम्भीरता से कार्य कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुष मिशन को एक अभियान का रूप देते हुए आयुष मंत्रालय का गठन किया, उनकी प्रेरणा से आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी। प्रधानमंत्री ने भारतीय योग पद्धति को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलायी है। उनके प्रयासों से प्रत्येक वर्ष 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब कोई कार्य मिशन मोड में किया जाता है, तभी वह अपने उद्देश्यों की पूर्ति में सफल होता है। उन्होंने कहा कि परम्परागत चिकित्सा पद्धति में शोध किये जाने की आवश्यकता है, जिससे इस चिकित्सा पद्धति में और नवीनता आ सके। कोरोना काल खण्ड में भारतीय आयुष चिकित्सा पद्धति ने पूरी दुनिया को इससे जोड़ा है, क्योंकि आयुर्वेदिक काढ़े का सेवन करने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यह कोरोना वायरस से लडऩे में मददगार होता है। आज ग्राम पंचायत से लेकर नीति आयोग तक की बैठकों में काढ़े की मांग है। उन्होंने कहा कि ऋतु परिवर्तन के दौरान काढ़ा हम भारतीय आदि काल से पीते आये हैं।
प्रदेश सरकार ने कोरोना काल खण्ड के दौरान आयुष कवच-कोविड एप को लॉन्च किया था। इसका लाभ प्रदेशवासियों को प्राप्त हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नवचयनित आयुर्वेदिक एवं होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों के लिए बेहतर कार्य करेंगे, तो जनकल्याण हेतु एक बड़ा मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पिछले 25 वर्षों में आयुष विभाग की सबसे बड़ी नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण की गयी है। यह नियुक्तियां पूर्णरूप से निष्पक्ष एवं पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से की गयी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हेल्थ टूरिज्म सेक्टर में प्रदेश को पहचान दिलायी जाएगी। योग वेलनेस सेण्टर प्रदेश में हेल्थ टूरिज्म को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वर्तमान सरकार ने वेलनेस सेण्टर के कुशल संचालन हेतु एक योग प्रशिक्षक व एक सहायक को तैनात किया है, जिन्हें क्रमश: 27,000 रुपये व 10,000 रुपये मासिक देने की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने निर्देश दिये कि इन वेलनेस सेण्टर्स की नियमित मॉनीटरिंग की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां आयुष टेलीमेडिसिन का शुभारम्भ किया गया है। इस नई सेवा से प्रदेशवासियों को घर बैठे आयुष विशेषज्ञों से परामर्श लेने की सुविधा मिल सकेगी। प्रथम चरण में गोरखपुर, अयोध्या, लखनऊ सहित प्रदेश के 16 जनपदों की 384 डिस्पेंसरियां इस व्यवस्था से जुड़ी हैं। कोरोना काल खण्ड में टेलीमेडिसिन का विशेष महत्व है। टेलीमेडिसिन कंसल्टेशन पद्धति को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है कि इसका विस्तार किया जाए। इसमें विभिन्न रोगों के विशेषज्ञ चिकित्सकों को जोडऩे की व्यवस्था की जाए, जिससे अधिक से अधिक लोग इसका लाभ ले सकें। ज्ञातव्य है कि कोई भी जरूरतमन्द ीजजचेरूध्ध्ंलनेीनच.जमसमउमकपबपदमण्पद वेबसाइट के अलावा आयुष कवच-कोविड एप के माध्यम से अपना पंजीकरण कराकर आयुष टेलीमेडिसिन सेवा का लाभ प्राप्त कर सकता है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 11 नवचयनित आयुष चिकित्सकों-डॉ0 श्रेया पाण्डेय, डॉ0 रिषभ कुमार, डॉ0 वसीम, डॉ0 पारुल वर्मा, डॉ0 पल्लवी पाण्डेय, डॉ0 रत्नेश कुमार, डॉ0 निहारिक गुप्ता, डॉ0 तान्या वाष्र्णेय, डॉ0 आशीष गोयल, डॉ0 बवीता कैन तथा डॉ0 अदिति सोनकर को नियुक्ति पत्र प्रदान किया। मुख्यमंत्री ने 05 जनपदों के नवनियुक्त चिकित्सकों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा वार्ता की। इसके तहत उन्होंने जनपद गोरखपुर के डॉ0 पशुपति नाथ त्रिपाठी, चन्दौली की डॉ0 अर्चना राय, मथुरा की डॉ0 दीप्ति, महोबा की डॉ0 अमिता सिंह तथा फर्रूखाबाद के डॉ0 प्रदीप कुमार से वर्चुअल संवाद किया। संवाद के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुष पद्धति को विस्तार दिये जाने में चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि चिकित्सक लोगों को आयुर्वेद के प्रति जागरूक करें और ज्यादा से ज्यादा शोध करें, क्योंकि हमारे ऋषियों ने ‘नास्ति मूलं अनौषधंÓ का सूत्र दिया है। इसका तात्पर्य है कि प्रकृति प्रदत्त सभी चीजों में कोई न कोई गुण अवश्य है, कुछ भी बेकार नहीं है, आवश्यकता है एक योजक की। इससे पूर्व, राष्ट्रीय आयुष मिशन के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश आयुष टेलीमेडिसिन योजना और राष्ट्रीय आयुष मिशन के अन्तर्गत संचालित योग वेलनेस सेण्टर योजना पर केन्द्रित एक लघु फिल्म प्रदर्शित की गयी। आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 धरम सिंह सैनी ने इस अवसर पर कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में आयुष विभाग पूरी मजबूती के साथ कार्य कर रहा है। कोरोना काल खण्ड के दौरान आयुष विभाग ने अपनी महत्ता को सिद्ध किया है। आयुर्वेदिक काढ़ा तथा होम्योपैथिक आर्सेनिक एल्बम लोगों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयुष चिकित्सकों ने कोरोना काल खण्ड में काफी अच्छा कार्य किया है। प्रदेश सरकार द्वारा लॉन्च आयुष कवच-कोविड एप को 16 लाख से अधिक लोगों ने डाउनलोड कर इसका लाभ उठाया है। इस अवसर पर मुख्य सचिव आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव आयुष प्रशान्त त्रिवेदी, सचिव मुख्यमंत्री आलोक कुमार तथा सूचना निदेशक शिशिर सहित आयुष विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।