जीआई टैग मिलने से शाही लीची की बिक्री में नकल या गड़बड़ी की आशंकाएं हो जाएंगी काफी कम
पटना। बिहार के मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध शाही लीची को नई पहचान मिली है। अब देश-दुनिया में शाही लीची की बिक्री जीआई टैग के साथ होगी। बौद्धिक सम्पदा कानून की तहत शाही लीची को जीआई टैग मिला है। ढाई सालों की जांच-पड़ताल में संतुष्ट होने के बाद शाही लीची को भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्री ने टैग दिया है।
शाही लीची का जीआई नंबर 552 होगा। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ॰ शेषधर पाण्डेय ने बताया कि जीआई टैग मिलने से शाही लीची की बिक्री में नकल या गड़बड़ी की आशंकाएं काफी कम हो जाएंगी। मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली और पूर्वी चंपारण के किसान ही शाही लीची के उत्पादन का दावा कर सकेंगे। ग्राहक भी ठगे जाने से बच सकेंगे।
साथ ही शाही लीची को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए लीची अनुसंधान केंद्र में स्थित लीची प्रसंस्करण केंद्र को अति शीघ्र चालू कर दिया जाएगा, जिससे लीची को 45 से 50 दिनों तक सुरक्षित रखा जाएगा। अनुमान है कि इससे लॉकडाउन के कारण उत्पन्न बाजार की समस्या को दूर करने में लीची उत्पादक किसानों को बेहद मदद मिलेगी।