- नई दिल्ली। कार्बन उत्सर्जन घटाने के प्रयास के तहत अब नए ईधन के रूप में मेथनाल को विकसित करने की तैयारी शुरू हो गई है। मेथनाल का उत्पादन प्राकृतिक गैस, कोयला व बायोमास जैसे संसाधनों से किया जा सकता है, लेकिन भारत में कोयले से इसके उत्पादन की योजना बनाई जा रही है। कोयले से उत्पादित मेथनाल गन्ने व अन्य अनाज से उत्पादित एथनाल से भी काफी सस्ती होगा। घरेलू स्तर पर खपत होने वाले मेथनाल का 90 फीसद आयात किया जाता है।
वित्त वर्ष 2018-19 में घरेलू स्तर पर 70 करोड़ डॉलर मूल्य के मेथनाल का आयात किया गया और हर वर्ष सात फीसद की दर से इसकी घरेलू खपत बढ़ रही है। फिलहाल विभिन्न प्रकार के केमिकल और पेट्रोकेमिकल सेक्टर में मेथनाल का इस्तेमाल किया जाता है। नीति आयोग की तरफ से हाल ही में मेथनाल को ईधन के रूप में इस्तेमाल करने को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 155 अरब टन कोयले का सुरक्षित भंडार है।
कोयला खपत की मौजूदा दर से यह भंडार खत्म होने में 140 वर्ष लग जाएंगे। दूसरी तरफ कोयले के गैसीफिकेशन से मेथनाल, फार्मल्डिहाइड, एसिटिक एसिड, अमोनिया जैसे कई उच्च मूल्य वाले उत्पादों का उत्पादन किया जा सकता है। अभी भारत खाड़ी देशों से मेथनाल का आयात करता है। हालांकि अभी देश में कोयले के गैसीफिकेशन के लिए कोई प्लांट नहीं है, लेकिन कोयला खदान के व्यावसायिक इस्तेमाल की सरकारी मंजूरी के बाद इस दिशा में संभावनाएं दिखने लगी हैं।