नई दिल्ली। रूसी पनडुब्बी ‘उफा’ मंगलवार रात केरल के कोच्चि बंदरगाह पर पहुंची, जिसका भारतीय नौसेना ने गर्मजोशी से स्वागत किया। रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने स्वागत की तस्वीरें साझा की हैं। भारतीय तट पर रूसी पनडुब्बी का डॉकिंग ऐसे समय पर हुआ है जब पीएम मोदी 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस की दो दिवसीय यात्रा पर गए हुए हैं।
साइलेंट किलर है ‘उफा’
- भारत पहुंची उफा सबमरीन को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। दरअसल, पनडुब्बी उफा बिना शोर किए पानी के अंदर अपने ऑपरेशन को अंजाम दे सकती है। ये कई मामलो में अमेरिका की सबसे उन्नत पनडुब्बी से भी बेहतर मानीं जाती है। इसे ब्लैकहोल भी कहा जाता है।
- इस सबमरीन को लेकर रूसी नौसेना के प्रशांत बेड़े की एक टुकड़ी कोच्चि बंदरगाह पहुंची है। इस टुकड़ी में डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी उफा और बचाव टग अलाटाऊ भी शामिल हैं।
- यह पहली बार नहीं है जब रूसी जहाज कोच्चि पहुंचे हैं। अगस्त में रूसी प्रशांत बेड़े के मिसाइल क्रूजर वैराग और फ्रिगेट मार्शल शापोशनिकोव सहित रूसी युद्धपोत अपने लंबी दूरी के मिशन के लिए कोच्चि में पहुंचे थे।
रडार भी हो जाता है फेल
डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी उफा को रूस की सबसे ताकतवर सबमरीन माना जाता है। इसे नवंबर 2019 को लॉन्च किया गया था और 2022 में रूस ने इसे अपनी नौसेना में शामिल कर लिया था। इसका रडार भी आसानी से पता नहीं लगा पाता है। इसे सबसे शांत सबमरीन भी कहा जाता है, क्योंकि ये पानी के अंदर भी आवाज नहीं करती है और दुश्मन को ढेर कर देती है।
क्यों खास है ‘उफा’ सबमरीन
उफा की चल रही यात्रा प्रशांत बेड़े के व्यापक दीर्घकालिक मिशन का हिस्सा है, जो इसी साल 22 जनवरी को शुरू हुआ था। इसी के साथ ये सबमरीन 240 फीट की है और ये 20 समुद्री मील तक की गति से यात्रा कर सकती है। ये सबमरीन 45 दिनों तक समुद्र में रह सकती है और दुश्मन का काम तमाम कर सकती है।