शामली । दिग्गज राजनीतिज्ञ बाबू हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह और चारों सदनों का सबसे कम उम्र में प्रतिनिधित्व करने वाले मुनव्वर हसन के बेटे नाहिद हसन विधानसभा चुनाव में एक-दूसरे के धुर विरोधी जरूर हैं, लेकिन इन दोनों से जुड़ा रोचक तथ्य यह है कि नाहिद और मृगांका दोनों के ही पूर्वज एक ही खाप से जुड़े थे, साथ ही नाहिद के भी पूर्वज सनातन धर्म में आस्था रखते थे। मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल में नाहिद हसन के पूर्वजों ने इस्लाम अपनाया था, जबकि मृगांका के पूर्वज सनातन धर्म से ही जुड़े रहे। दोनों ही परिवारों के सदस्य खुले रूप से स्वीकार करते हैं कि वे कभी एक ही खाप के सदस्य रहे हैं।
मृगांका के स्वजन एवं कलस्यान खाप के चौधरी रामपाल सिंह बताते हैं कि बाबा कलसा के नाम पर कलस्यान खाप स्थापित की गई थी। बाबा कलसा ही कलस्यान खाप के चौधरी थे और उन्होंने पंजीठ गांव को अपना ठिकाना बनाया था। उसके बाद चौधरी उजाला सिंह कलस्यान खाप के चौधरी बने। उधर, नाहिद हसन के परिवार के हाजी अनवर हसन बताते हैं कि मुगल शासन में उनके पूर्वजों ने इस्लाम धर्म अपना लिया था। उजाला सिंह ने अपनी बेटी की शादी बुंदू सिंह उर्फ फैयाज हसन के साथ की थी। फैयाज हसन के सबसे बड़े पुत्र अख्तर हसन राजनीति में सक्रिय रहे और वे सांसद भी बने। इसके बाद उनके बेटे मुनव्वर हसन ने सबसे कम उम्र में चारों सदनों का प्रतिनिधित्व किया। उनके बाद उनके बेटे नाहिद हसन उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने कैराना विधानसभा सीट से उनको उम्मीदवार बनाया है। वह वर्तमान में भी कैराना के विधायक हैं।