Latest News अन्तर्राष्ट्रीय

यूरो मुद्रा वाले 19 देशों में 8.9% के रिकार्ड स्तर पर महंगाई, ऊर्जा कीमतों की प्रमुख भूमिका


नई दिल्ली, । यूरो मुद्रा का इस्तेमाल करने वाले यूरोपीय देशों में जुलाई में महंगाई एक नए रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते एनर्जी कीमतों में बढ़ोतरी से इन्हें गहरा झटका लगा है। हालांकि, ये देश विकास दर में मामूली वृद्धि दर्ज करने में कामयाब रहे हैं। यूरो जोन के 19 देशों में जुलाई में महंगाई दर 8.9 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई। जून में यह 8.6 प्रतिशत पर थी।

1997 के बाद से यूरोजोन के देशों में महंगाई उच्चतम स्तर पर

1997 के बाद से यूरोजोन के देशों में महंगाई उच्चतम स्तर पर बनी हुई है। इस दौरान ऊर्जा की कीमतें 39.7 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं। हालांकि, जून के मुकाबले कीमतों में वृद्धि कम हुई है। वहीं, शराब, तंबाकू और खाद्य पदार्थों के दाम 9.8 प्रतिशत बढ़े हैं, जिनमें पिछले महीने की तुलना में वृद्धि कुछ ज्यादा हुई है। पिछली तिमाही के मुकाबले यूरोजोन की इकोनमी में 0.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि पिछले साल की समान अवधि में चार प्रतिशत थी। इसकी तुलना में अमेरिका में हालात विपरीत हैं। वहां लगातार दो तिमाही से इकोनमी में गिरावट जारी है। जिससे मंदी की आशंकाएं बढ़ गई हैं।

जॉब मार्केट की हालत कोरोना पूर्व के समय से भी अच्छी

हालांकि, जॉब मार्केट की हालत कोरोना पूर्व के समय से भी अच्छी है। फेडरल रिजर्व सहित प्रमुख अर्थशास्त्रियों का मानना है कि उन्हें नहीं लगता है कि इकोनमी मंदी की ओर बढ़ती जा रही है। हालांकि कई अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत में यूरोप की तरह अमेरिका भी आर्थिक मंदी की ओर बढ़ सकता है। बढ़ती मुद्रास्फीति का मुकाबला करने के लिए यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने पिछले सप्ताह 11 वर्षो में पहली बार ब्याज दरों में अपेक्षा से अधिक यानी 50 आधार अंक की वृद्धि की थी। सितंबर में ब्याज दरों में एक और वृद्धि किए जाने की संभावना है।