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रत, पाकिस्तान व बांग्लादेश के इन राज्यों में बाढ़ का कहर, प्राकृतिक आपदा से लाखों लोग प्रभावित


नई दिल्ली, मानसून की झमाझम बारिश दक्षिण एशियाई देशों को सराबोर कर रही है लेकिन क्षेत्र के कई इलाकों में यह कहर बन कर बरस रहा है। इसका असर सबसे अधिक पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश में हुआ है। इन तीन देशों में भारी बारिश के कारण मौत का आंकड़ा तो बढ़ ही रहा गुमशुदगी के मामले भी सामने आ रहे हैं। हालांकि राहत और बचाव कार्य जारी है। बता दें कि भारी बारिश के कारण बाढ़ और लैंडस्लाइड की घटनाएं हुईं जिसमें सैंकड़ों लोगों की मौत हो गई और लापता हो गए। और जो इसमें बचे हैं उनकी स्थिति बदतर है।

भारत: भारी बारिश की चपेट में 50 लाख से अधिक लोग

भारत में भारी बारिश का असर 50 लाख से अधिक लोगों पर दिख रहा है। मानसून की बारिश ने पूर्वोत्तर राज्यों असम और मेघालय को चपेट में ले लिया है। वहीं हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, मध्यप्रदेश और गुजरात भी इससे बच नहीं पाए हैं। इन राज्यों में भी भारी बारिश के कारण बाढ़ ने जनजीवन प्रभावित कर दिया है। मौतें और लोगों की गुमशुदगी के बीच राहत और बचाव कार्य जारी है।

पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान प्रांत में वर्षा एवं बाढ़ का प्रकोप

इस क्रम में पाकिस्तान मौसम विभाग (Pakistan Meteorological Department, PMD) ने आज कहा कि इस साल मानसून सिस्टम के कारण बलूचिस्तान में सामान्य से अधिक बारिश हुई वहीं कराची में औसत बारिश हो रही है। पाकिस्तान में सिंध प्रांत के कराची शहर एवं बलूचिस्तान प्रांत में निरंतर बारिश होने एवं बाढ़ आने के कारण कम से कम 68 लोगों की मौत हो चुकी है। यह सोमवार का आंकड़ा है। बलूचिस्तान प्रांत के क्वेटा, बरखान, पिशिन, कोहलू, बोलान , लोरलाई और झोब इलाकों में 63 लोगों की तथा सिंध प्रांत की राजधानी कराची में पांच लोगों की मौत हो गई। यहां के कई इलाके जलमग्न हैं। बलूचिस्तान प्रांत आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कहा कि लोगों की मौत के अलावा   50 से अधिक लोग घायल भी हुए हैं।

 

20 सालों में बाढ़ के कारण बांग्लादेश के बदतर हालात

वहीं बांग्लादेश ने इस बार आए बाढ़ को 20 सालों में सबसे बदतर हालात बताया। यहां देश के 64 में से 17 जिलों में मानसून की बारिश कहर बन के आई है। उत्तर और पूर्वोत्तर सिल्हट क्षेत्रों में भारी बारिश का असर देखने को मिल रहा है। 100 से अधिक की मौत हो चुकी है और 7 मिलियन से अधिक लोगों को खाने की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ पूर्वानुमान और चेतावनी केन्द्र (एफएफडब्ल्यूसी) के प्रवक्ता ने कहा, ‘देश की चार प्रमुख नदियों में से दो नदियों में जलस्तर खतरे के निशान से बहुत ऊपर है और हालात लगभग 2004 के बाढ़ जैसे हैं।’

एफएफडब्ल्यूसी ने मेघालय और बांग्लादेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश को इस बाढ़ का कारण बताया है। बाढ़ का पानी कई बिजली घरों में भर गया है जिसके कारण प्रशासन को इन बिजली घरों को बंद करना पड़ा है जिसके कारण इंटरनेट और मोबाइल फोन संवाद बंद हो गए हैं। मदद के लिए सैन्य सहायता दी गई है।