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लालू-नीतीश लगातार सत्ता में थे; लेकिन’ उपेंद्र कुशवाहा CM और RJD सुप्रीमो पर फिर भड़के


पटना। : राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJD) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने प्रेस वार्ता कर आज एक बार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने इस बार अशोक सम्राट के महल की खुदाई को लेकर दोनों नेताओं को घेरा है।

उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक की महल की खुदाई 2004 से बंद है। केंद्र सरकार ने इसकी खुदाई की पहल की है। लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार लगातार सत्ता में रहे लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। हालांकि, उपेंद्र कुशवाहा ने इस दौरान केंद्र की जमकर तारीफ की है।

उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्र से की ये अपील

उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने एक विज्ञप्ति जारी करते हुए लिखा कि पटना के कुम्हरार क्षेत्र में जिस जगह अशोक का महल कथित तौर पर स्थित है उसको भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित किया जा रहा है। कुम्हरार पटना का वह क्षेत्र है जहां प्राचीन शहर पाटलिपुत्र के अवशेषों की खुदाई की गई थी। लेकिन किन्हीं कारणों से 2004 में इस पुरातात्विक स्थल पर कथित रूप से जलजमाव के कारण यथास्थिति में छोड़ दिया गया।

इससे देश और दुनिया प्राचीन मौर्यकाल और अशोक महल के गौरवशाली इतिहास से वंचित रहने को अभिशप्त हो गई। अतः आपसे आग्रह होगा कि करीब 70 सालों से बंद उत्खनन कार्य को पुनः प्रारंभ किया जाए, ताकि जल्द से जल्द पाटलिपुत्र और सम्राट अशोक की गौरवशाली विरासत को विस्तृत रूप से दुनिया के सामने लाया जा सके। इस कार्य से बिहार में पर्यटन को भी काफी बढ़ावा मिलेगा | साथ ही बेरोजगार नौजवानों के लिए रोजगार का नया द्वार भी खुल सकेगा |

उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्र की तारीफ में पढ़े कसीदे

उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की तारीफ करते हुए लिखा कि आपके नेतृत्व में केंद्रीय संस्कृति मंत्नालय का यह ऐतिहासिक कदम सम्राट अशोक की दार्शनिक विरासत को न केवल पुनर्जीवित करता है, बल्कि दुनिया के समकालीन शासकों को भारतीय राज प्रणाली की ऐतिहासिक दार्शनिकता से अवगत कराने का काम भी करता है।

अब जब राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) ने इस दिशा में व्यापक दृष्टिकोण वाला यह कदम उठाया है, तो निश्चित तौर पर दुनिया को अशोक महल के उत्खनन अवशेष को जानने समझने का व्यापक नजरिया मिलेगा, जो पाटलिपुत्ल के गौरवशाली इतिहास के जीवित संकेत हैं।