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वाराणसी से शुरू होगा दुनिया के सबसे लंबे रिवर क्रूज का सफर


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से जल्द ही दुनिया का सबसे लंबा रिवर क्रूज का सफर शुरू होगा। शुक्रवार को सीएम योगी ने वाराणसी में क्रूज के टाइम टेबल का विमोचन किया। रिवर शिप गंगा विलास वाराणसी से डिब्रूगढ़ की यह आकर्षक यात्रा कराएगा। 3200 किलोमीटर का यह सफर 50 दिनों में पूरा होगा। भारत और बांग्लादेश के 27 रिवर सिस्टम्स से होकर यह क्रूज गुज़रेगा। इस दौरान 50 से अधिक जगहों पर रुकेगा। इनमें विश्व विरास्त स्थल भी शामिल हैं। क्रूज कई राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों से भी गुज़रेगा। इनमें सुंदरबन डेल्टा और काजिरंगा नेशनल पार्क भी शामिल हैं। यह यात्रा एक ही रिवर शिप द्वारा की जाने वाली दुनिया की सबसे लंबी यात्रा होगी। इस परियोजना ने भारत व बांग्लादेश को दुनिया के रिवर क्रूज़ नक्शे पर ला दिया है। क्रूज 10 जनवरी को वाराणसी से रवाना होगा और कोलकाता व बांग्‍लादेश के ढाका होते हुए 1 मार्च को असम के डिब्रूगढ़ जिले के बोगीबील पहुंचेगा।  भारतीय उपमहाद्वीप में पर्यटन का यह नया क्षितिज खुला है। इससे भारत की अन्य नदियों में भी रिवर क्रूजिंग के बारे में जागरुकता बढ़ेगी। गंगा विलास जलयान की लंबाई: 62.5 मीटर, चौड़ाई: 12.8 मीटर, ड्राफ्ट: 1.35 मीटर  है। इसमें 18 सुइट्स होंगे। वाराणसी से डिब्रूगढ़ के बीच क्रूज के समय सारणी का विमोचन सीएम योगी ने किया। इस अवसर पर जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और भारी उद्योग मंत्री महेन्द्र नाथ पांडेय भी मौजूद रहे। देश की आध्यात्मिक नगरी काशी को सबसे उन्नत हाइड्रोजन फ्यूल सैल कैटमारन जलयान मिलने जा रहे हैं। वाराणसी को एक हाइड्रोजन फ्यूल सैल जलयान और चार इलेक्ट्रिक हाइब्रिड जलयान मिलेंगे। शुक्रवार को इसके लिए भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण और कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड के मध्य एक करार पर दस्तखत किए गए। जलमार्ग विकास प्रोजेक्ट-2 जिसे अर्थ गंगा भी कहा जाता है के तहत प्राधिकरण गंगा नदी पर 62 लघु सामुदायिक घाटों का विकास/अपग्रेड कर रहा है। इनमें से 15 यूपी, 21 बिहार, 3 झारखंड में और 23 पश्चिम बंगाल में हैं।  उत्तर प्रदेश में वाराणसी और बलिया के बीच 250 किलोमीटर में घाट विकसित किए जा रहे हैं। ये घाट यात्री एवं प्रशासनिक सुविधाओं से युक्त होंगे। इनसे नदी पर सामान एवं मुसाफिरों की आवाजाही संभव होगी और समय के साथ ही पैसों की बचत होगी। घाटों का परिचालन आरंभ हो जाने से छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में वृद्धि होगी। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और सभी समुदायों को लाभ होगा। अन्तर्देशीय जलमार्गों के विकास पर ध्यान केन्द्रित करने से विकास एवं परिचालन के मानकीकरण में मदद मिलेगी। इससे स्थानीय समुदायों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो पाएंगी और उनकी आजीविका में भी सुधार होगा। समझौते के तहत कोचिन शिपयार्ड 8 हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कैटामारन जलयानों का निर्माण भी करेगा। इस प्रोजेक्ट के लिए केन्द्र सरकार ने रु.130 करोड़ मंजूर किए हैं। 50 पैक्स क्षमता वाले जलयान वाराणसी, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन और गुवाहाटी में तैनात किए जाएंगे। बताते चलें कि वाराणसी से लेकर कोलकाता के बीच कुल 60 जेटी बनाए जाने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश में सात जेटी तैयार हुए हैं, वाराणसी के तीन, बलिया में दो और चंदौली, गाजीपुर में एक-एक जेटी शामिल है। जिनमें वाराणसी के रविदास घाट, रामनगर, कैथी, चंदौली में बलुआ, गाजीपुर में कलेक्टर घाट, बलिया में उजियार घाट बरौली और शिवपुर शामिल हैं।