आईआईटी बीएचयू के १४वें दीक्षांत समारोह में इसरो अध्यक्ष ने विद्यार्थियों को दिया नवाचार और नेतृत्व का संदेश
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉक्टर सुकान्त मजूमदार ने वर्चुअली दी शुभकामनाएं, कहा वाराणसी जीवित विश्वविद्यालय, सहस्राब्दियों से बह रही ज्ञान की धारा
१,९९५ स्नातकों को उपाधि, ६२ मेधावी हुए स्वर्ण पदक से सम्मानित
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संघटन (इसरो) के अध्यक्ष डॉक्टर वी. नारायणन ने कहा कि आप सभी छात्र २०४७ तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के अभियान के अग्रदूत हैं। अंतरिक्ष अनुसंधान और तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में योगदान देकर राष्ट्र निर्माण का हिस्सा बनें। डॉक्टर नारायणन गुरुवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय के १४वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि स्नातकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने २०२५ बैच के विद्यार्थियों को बधाई दी और उनके जीवन में माता-पिता, शिक्षकों एवं कर्मचारियों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि आईआईटी बीएचयू जैसे संस्थान भविष्य के नेतृत्व को तैयार कर रहे हैं जो भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के सपने को साकार करेंगे। इसके लिये विद्यार्थियों में सतत सीखने की ललक, रचनात्मकता, आत्मविश्वास, टीमवर्क और सामाजिक जिम्मेदारी जरूरी है। इसरो की उपलब्धियाँ और भविष्य की योजनाओं पर डॉक्टर नारायणन ने कहा कि भारत ने १९६३ में पहले रॉकेट प्रक्षेपण से लेकर चंद्रयान, मंगलयान, क्रायोजेनिक इंजन विकास, और १३३ से अधिक उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण तक असाधारण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। इसरो अब चंद्रयान-४, चंद्रयान-५, गगनयान-३ और २०३५ तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रहा है। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉक्टर सुकान्त मजूमदार ने समारोह में वर्चुअली शामिल होकर विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की सफलता में माता-पिता और शिक्षकों का योगदान अमूल्य है। उन्होंने महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की शिक्षा-दर्शन शिक्षा ही चरित्र है का उल्लेख करते हुए कहा कि आईआईटी (बीएचयू) प्राचीन ज्ञान को आधुनिक नवाचार में बदलने वाला केंद्र है। डॉक्टर मजूमदार ने वाराणसी को ‘जीवित विश्वविद्यालयÓ बताते हुए कहा कि यह शहर सहस्राब्दियों से ज्ञान की धारा बहा रहा है। उन्होंने स्नातकों से आग्रह किया कि वे आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत २०४७ के लक्ष्य में योगदान दें। समारोह में विभिन्न पाठ्यक्रमों के १,९९५ छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान की गयीं। इसमें १,०९० बी.टेक., ३६३ आईडीडी, २८२ एम.टेक./एम.फार्मा, ४८ एम.एससी., १६ बी.आर्क और १९६ डॉक्टरेट शोधार्थी शामिल रहे। जबकि ६२ मेधावी विद्यार्थियों को कुल १२३ पदक एवं पुरस्कार प्रदान किये गये। रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग की अनन्या सिंह को उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए अध्यक्ष स्वर्ण पदक सहित १३ स्वर्ण पदक, एक रजत पदक और तीन पुरस्कार प्राप्त हुए। बी.टेक. स्तर पर गणितीय विज्ञान विभाग के आदित्य कुलकर्णी और सिविल इंजीनियरिंग के सुयश विजय को निदेशक स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा ने बतौर सीनेट अध्यक्ष समारोह का औपचारिक उद्घाटन किया और संस्थान की वार्षिक उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में रजिस्ट्रार सुमित कुमार बिस्वास, प्रोफेसर एन.के. मुखोपाध्याय, प्रोफेसर राजेश कुमार, प्रोफेसर हीरालाल प्रमाणिक, प्रोफेसर अनुराग ओहरी, प्रोफेसर आभा मिश्र, प्रोफेसर प्रदीप पाईक, प्रोफेसर चंदना रथ, प्रोफेसर राकेश कुमार सिंह सहित सभी विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी, छात्र और अभिभावक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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