- जिस तरह की आशंका थी, उसी के अनुरूप संसद का मॉनसून सत्र (Monsoon Session) हंगामे की भेंट चढ़ रहा है. 19 जुलाई से शुरू हुआ संसद का मॉनसून सत्र 13 अगस्त तक चलना है इस सत्र के दौरान 19 बैठकें प्रस्तावित हैं. स्थिति यह है कि संसद का आधा सत्र बीतने के बाद जारी शोर-शराबे के बीच अब तक सिर्फ तीन विधेयक (Bill) ही पारित किए जा सके हैं. यही नहीं संसद के पिछले सत्रों के दौरान रिकॉर्ड बनाने वाले उच्च सदन में मॉनसून सत्र के नौ दिनों में अब तक महज 8.2 घंटे ही राज्यसभा चली है. ऐसे में खबर है कि सरकार तय समय से पहले ही मॉनसून सत्र खत्म कर सकती है.
सरकार को लगी 26.925 करोड़ की चपत
पेगासस जासूसी केस पर चर्चा की मांग पर अड़े विपक्ष के हंगामे के कारण उच्च सदन के अब तक 33.8 घंटे बर्बाद हो चुके हैं. संसद को अब सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. संसद न चलने के कारण सरकार को अब तक 26.925 करोड़ की चपत लग चुकी है. ऐसे में इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है, ‘सरकार गंभीरता से मानसून सत्र में कटौती करने पर विचार कर रही है.’ एक मंत्री ने कहा, ‘सरकार लोगों से जुड़े हर मुद्दे पर संसद में बात करने के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष यह नहीं चाहता. यह पैसे समय की पूरी तरह बर्बादी है.’ उन्होंने संकेत दिए हैं कि अगर सरकार सत्र को खत्म करने का फैसला लेती है, तो कुछ हिस्सों में बढ़ रहे कोविड के मामले भी एक कारण हो सकते हैं.
एक बार कोशिश करेगी सरकार
हालांकि सरकार मॉनसून सत्र समय से पहले खत्म करने से पहले सरकार विपक्ष के नेताओं को दोनों सदनों की शांति से काम करने पर सहमत करने के लिए मनाने के कुछ प्रयास करेगी. सत्र की शुरुआत के साथ ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस शिरोमणि अकाली दल-बहुजन समाज पार्टी सदन में विरोध कर रही है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी की मुलाकात के बाद अगले दिन यानि गुरुवार से ही विपक्ष के बीच समन्वय देखा जा रहा है. शुक्रवार को भी कांग्रेस, डीएमके, वाम दलों, बसपा, शिअद टीएमसी के सांसदों ने हंगामा किया.
सिर्फ तीन विधेयक ही हुए पारित
उच्च सदन में शोर शराबे में बीच जिन तीन विधेयक का पारित किया गया है, उनमें नौवहन समुद्री सहायता विधेयक 2021, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल संरक्षण) संशोधन विधेयक 2021 फैक्टरिंग विनियमन संशोधन विधेयक 2021 शामिल हैं. सोमवार को जब एक बार फिर संसद की कार्यवाही शुरू होगी तो केंद्र सरकार एक नई रणनीति के साथ उतरना चाहेगी. इसके बावजूद बात नहीं बनती देख सरकार सत्र खत्म कर सकती है.