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विश्व बाघ दिवस: देश में सबसे ज्यादा 526 बाघ मध्य प्रदेश में, संरक्षण और प्रजनन में अव्वल है इंदौर


इंदौर, । मध्य प्रदेश की ख्याति देश में बाघ प्रदेश के रूप में है। बाघों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है। मध्य प्रदेश में पिछली गणना के अनुसार 526 बाघ हैं, जो देश में सबसे ज्यादा हैं। प्रदेश के चिड़ियाघरों में भी बाघ हैं, जहां इनका संरक्षण और प्रजनन होता है। इस मामले में इंदौर मध्य प्रदेश में अव्वल है। इंदौर के कमला नेहरू वन्यप्राणी संग्रहालय में 14 बाघ हैं, जो मध्य प्रदेश के अन्य चिड़ियाघरों से ज्यादा हैं। इनमें तीन रंग वाला अनोखा शावक भी शामिल है, जो दुनिया में अन्यत्र नहीं है।

जानकारी हो कि भोपाल के वनविहार में 13 और ग्वालियर के चिड़ियाघर में सात बाघ हैं। इंदौर और ग्वालियर में सामान्य चिड़ियाघर हैं, वहीं भोपाल में वन्य प्राणियों का प्रजनन केंद्र भी है। चिड़ियाघर प्रभारी के अनुसार इंदौर में बाघों के रहने के लिए अनुकूल माहौल और प्रजनन के लिए किए गए प्रयासों से इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है। देश में भी मध्यम श्रेणी के चिड़ियाघरों में इंदौर बाघों की संख्या के मामले में पहले स्थान पर है।

बाघों का कुनबा ऐसे बढ़ा –

 

जानकारी हो कि इंदौर के चिड़ियाघर में कभी सिर्फ दो बाघ हुआ करते थे, जिन्हें छोटे से पिंजरे में रखा जाता था। डा. यादव के अनुसार वर्ष 2010 में यहां दो बाघ लालू और बिहारी थे। एक सफेद बाघ था जो बहुत बूढ़ा हो चुका था। यहां औरंगाबाद से बाघ लाए गए। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ी। इस दौरान किसी भी बाघ की असमय मौत नहीं हुई है। गत दिनों एक शावक की मौत हुई, जो जन्म से ही कमजोर था। वहीं बी-1 नाम के बाघ की मौत कुछ साल पहले अधिक उम्र होने पर हुई थी।

इंदौर में तीन रंग का शावक भी –

इंदौर के चिड़ियाघर में 14 बाघ जिनमें छह शावक

सफेद रंग के कई बाघ हैं। इनमें बाघिन रागिनी और अन्य बाघिन से जन्मा एक शावक हैं। रागिनी के शावक पूरे सफेद नहीं हैं, लेकिन सफेद पट्टी है।

तीन रंग का शावक 

हम पूरा ध्यान रखते हैं – इंदौर के चिड़ियाघर प्रभारी डा.उत्तम यादव का कहना है कि वन्यप्राणी को खुली जगह की जरूरत होती है। उन्हें तनावमुक्त वातावरण और उचित आहार भी जरूरी है। यहां हम उनका पूरा ध्यान रखते हैं। इससे बाघों की संख्या इंदौर में तेजी से बढ़ी है।

ये रहे कारण बढ़ोतरी के –

प्राकृतिक वातावरण : बाघों को पिंजरों से निकालकर खुले बाड़े में रखा गया। इनके मनोरंजन के लिए कृत्रिम तालाब बनाए गए। इससे इन्हें जंगल की तरह प्राकृतिक वातावरण मिला। समय-समय पर इसमें बदलाव भी किए जाते हैं।

टीकाकरण :

बाघों का समय-समय पर टीकाकरण किया जाता है, ताकि स्वस्थ रहें।

पोषण आहार :

समय के साथ आहार में बदलाव होता है। खाने के साथ मल्टी विटामिन भी दिए जाते हैं।

प्रजनन केंद्र में सतर्कता :

जंगल में प्राणी खुद जोड़ा बनाते हैं, जबकि चिड़ियाघर में जोड़ा बनाने के लिए विशेष सावधानी रखते हैं। बाघ और बाघिन को साथ रखने से पहले फ्लोर को गीला किया जाता है ताकि कोई आक्रामक होकर हमला न कर सके। आपदा की स्थिति से निपटने के लिए टीम तैयार होती है। एक महीने तक इनके व्यवहार पर नजर रखते हैं।