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नई दिल्ली. कोरोना वैक्सीन की कीमत (Coronavirus Vaccine) को लेकर केंद्र सरकार और पश्चिम बंगल सरकार सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आमने सामने आ गए हैं. एक तरफ जहां पश्चिम बंगाल (West Bengal) सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार ने सालाना बजट में जितना पैसा करोना वैक्सीन के लिए एलॉट किया था अगर उसका इस्तेमाल हो जाता है तो पूरे देश के लोगों को मुफ्त वैक्सीन दिया जा सकता है. वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि अगर कीमत या बाजार को नियंत्रित किया गया तो इसका असर वैक्सीन की उत्पादन पर पड़ेगा. केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर अपने अपने आंकड़े और तर्क पेश किए हैं जिस पर गुरुवार को सुनवाई होगी. पश्चिम बंगाल ने केंद्र पर वैक्सीन बानाने वाली कंपनीयों को ग्रांड या अनुदान दे कर फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था. उनका कहना है कि अगर कंपनियों को वैक्सीन पर रिसर्च करने और उत्पादन करने के लिए सरकार ने पैसा दिया है तो फिर वैक्सीन के लिए कीमत क्यों दी जा रही है. इसके जवाब में कंद्र सरकार ने साफ किया है कि किसी भी कंपनी को ग्रांट नहीं दिया गया है. हां ये ज़रूर है कि वैक्सीन की क्लिनीकल ट्रायल के लिए पैसा दिया गया है.
केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे के मुताबिक आई.सी.एम.आर के साथ क्लीनिकल ट्राइल करने के लिए भारत बायोटेक को 35 करोड़ रुपया और सीरम इंस्टीट्यूट को 11 करोड़ रुपया दिया गया है. इसके अलावा वैक्सीन बनाने के लिए एक निजी और तीन सरकारी संस्थाओं को 200 करोड़ रुपया दिये जाने की सहमति दी गई है, लेकिन अभी पैसा रिलीज नहीं हुआ है.
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि सीरम इंस्टीट्यूट को कोवीशील्ड वैक्सीन सप्लाई करने के लिए 1732.50 करोड़ रपया एडवान्स दिया गया है, जबकि भारत बायोटेक को कोवैक्सीन के लिए 787.50 करोड़ रुपया एडवान्स दिया गया है. लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने हलफनामें में अलग ही आंकड़े दिए हैं.