चतुर्थी तिथि में बढ़ोतरी होने के कारण १० दिनों तक चलेगा दर्शन-अनुष्ठान
शक्ति की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा २२ से शुरू हो रहा है। यह ०२ अक्टूबर तक चलेगा। ३० सितंबर को अष्टमी और महानवमी एक अक्टूबर को मनाई जाएगी। दो अक्टूबर को माता को विदाई दी जाएगी। काशी के पंचांग के अनुसार दो अक्टूबर को विजयादशमी भी होगी। शारदीय नवरात्र इस बार १० दिन का होगा। चतुर्थी तिथि में बढ़ोतरी होने के कारण नौ के बजाय १० दिनों तक शक्ति की आराधना भक्त करेंगे। इसके कारण दर्शन और विविध अनुष्ठान १० दिन तक चलेंगे।
कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त सुबह ११.२४ बजे से एक घण्टे तक
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा, २२ सितम्बर की सुबह से कलश स्थापना होगी। इसमें कलश स्थापना के लिए सोमवार की सुबह और अभिजीत मुहूर्त (११.२४ से १२.२४ बजे) का समय कर्मकांडियों ने सर्वसिद्धिदायक बताया है। काशी के विद्वानों की माने तो कलश स्थापन का मुख्य काल सूर्योदय से दश घटी यानी चार घंटा तक ही होता है। इसे देखते हुए कलश स्थापना का मुहूर्त सूर्योदय काल में सुबह का समय उचित होता है।
माता का हाथी पर आगमन अत्यंत शुभ
इस बार माता का आगमन गज पर होगा और प्रस्थान मनुष्य के कंधे पर होगा। इस बार नवरात्र का योग देश और दुनिया के लिए सुखदायक है। इसके साथ ही शक्ति की आराधना का यह पर्व राष्ट्र के लिए उन्नति सूचक है। देश की संप्रभुता एवं प्रभाव बढ़ेगा। शारदीय नवरात्र की शुरूआत प्रतिपदा तिथि पर होगी। इस दिन सुबह से ही हस्त नक्षत्र लग रहा है। इस दौरान कलश स्थापना बहुत शुभकारी मानी जाती है।
पूजन का शुभ संकल्प
ज्योतिषाचार्य राकेश तिवारी के अनुसार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को तैल अभ्यंग, स्नानादि कर मन में संकल्प लेना चाहिए। तिथि, वार, नक्षत्र, गोत्र, नाम इत्यादि लेकर यह संकल्प करना चाहिए कि माता दुर्गा की प्रसन्नता के लिए प्रसादस्वरूप, दीर्घायु, विपुलधन, पुत्र-पौत्र, स्थिर लक्ष्मी, कीर्ति लाभ, शत्रु पराजय, सभी तरह की सिद्धियों के लिए शारदीय नवरात्र में कलश स्थापन, दुर्गा पूजा, कुंवारी पूजन करेंगे। इसके बाद गणपति पूजन, स्वस्तिवाचन, नांदीश्राद्ध, मातृका पूजन इत्यादि करना चाहिए। तदुपरांत मां दुर्गा का षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन करना चाहिए।
हर तिथि पर अलग भोग
पंडित प्रद्युम्न शुक्ल के अनुसार प्रतिपदा पर देवी को हल्दी, द्वितीया पर शक्कर, तृतीया पर लाल वस्त्रत्त्, चतुर्थी पर दही, पंचमी पर दूध, षष्ठी पर चुनरी, सप्तमी पर बताशा, अष्टमी पर पीली मिठाई, नवमी पर खीर अर्पित करना चाहिए।
घट स्थापना के लिए
इसका रखें ध्यान
आप घर में घट स्थापना करना चाहते हैं तो उसकी पहले से तैयारी कर लेनी चाहिए। इन सामग्री की आवश्यकता पड़ेगी-
जौ या गेहूं, एक पाव ह्म् लाल चुनरी ह्म् स्वच्छ मिट्टी ह्म् नारियल पानी वाला ह्म् आम के पत्ती ह्म् दूर्वा ह्म् पान के पत्ते ह्म् धूप-दीप ह्म् फूल व माला, माला यदि अड़हुल फूल की हो तो श्रेष्ठ ह्म् कलावा ह्म् पीतल या तांबे का लोटा ह्म् अक्षत ह्म् मिठाई मौसमी फल ह्म् कुमकुम।
——————-