चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा का चार दिवसीय शीतकालीन सत्र काफी हंगामेदार रहा। सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके विधायकों ने जहां सरकार को घेरने की कोशिश की, वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कांग्रेसियों के एक-एक सवाल का जवाब देते हुए उन्हें निरुत्तर कर दिया। सबसे ज्यादा हंगामा हुड्डा द्वारा एक वाट्सएप चैट पढ़ने पर हुआ, जिसमें सरकारी नौकरियों के लिए कथित लेनदेन का जिक्र है।
मुख्यमंत्री द्वारा इस चैट की जांच कराने के लिए तैयार होना सरकार के नौकरियों में पारदर्शिता के दावे को पुख्ता करने के लिए काफी रहा, लेकिन हुड्डा चैट की कापी विधानसभा के पटल पर न रखकर अपने ही आरोपों में खुद घिरते नजर आए। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस बार चार बैठकें हुई, जिनकी कार्यवाही 19 घंटे 53 मिनट तक चली। 90 सदस्यीय विधानसभा में कोई विधायक ऐसा नहीं बचा, जिसे सदन में अपनी बात कहने का मौका न मिला हो।
ऐलनाबाद से हाल ही में उपचुनाव जीते अभय सिंह चौटाला ने भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को घेरने के साथ ही कांग्रेस को भी कठघरे में खड़ा किया। इसी का नतीजा रहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का अभय चौटाला को विधानसभा में खास समर्थन नहीं मिल पाया। हुड्डा अपनी टीम के विधायकों के साथ आक्रामक अंदाज में नजर आए। पूरे समय उन्होंने सरकार को घेरने की कोशिश की।
किरण चौधरी, गीता भुक्कल, जगबीर मलिक, आफताब अहमद, वरुण चौधरी, अमित सिहाग, चिरंजीव राव, नीरज शर्मा और रघुबीर कादियान ने भी सरकार की घेराबंदी का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दिया। भाजपा-जजपा गगठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने खुद मोर्चा संभाला। कांग्रेसियों को अपने हर सवाल का जवाब अपनी भाषा में ही मिला। कई मौके ऐसे आए, जब राज्य सरकार के मंत्री घिरे नजर आए, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उन्हें तो चक्रव्यूह से बाहर निकाला ही, साथ ही अपने सवालों से विपक्षियों के लिए जाल भी बुन दिया।