1- श्रीलंका आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो चुका है। विदेशी कर्ज नहीं चुका पाने के कारण उसने खुद को डिफाल्टर घोषित कर दिया है। इसके चलते देश में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो गई है। श्रीलंका की जनता सड़कों पर प्रदर्शन कर रही है। प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि जब कोई देश विदेशी कर्ज वक्त पर नहीं चुका पाता तो वह डिफाल्टर हो जाता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब किसी देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार नहीं रहता। उन्होंने कहा कि इसके पूर्व भी दुनिया के कई मुल्क इस तबाही को देख चुके हैं और कई मुल्क इस कगार पर खड़े हुए हैं।
2- उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि दुनिया में श्रीलंका ही केवल ऐसा मुल्क है, जहां आर्थिक मंदी के हालात उत्पन्न हुए हैं। इसके पूर्व दुनिया के कई मुल्क आर्थिक मंदी के दौर से गुजर चुके हैं। इसमें प्रमुख रूप से अर्जेंटीना, ग्रीस, रूस, उरुग्वे, डोमिनिकन रिपब्लिक और इक्वाडोर शामिल है। लातिन अमेरिकी देश अर्जेटीना वर्ष 2000 से 2020 के बीच दो बार इस दौर से गुजर चुका है। वर्ष 2012 में ग्रीस डिफाल्टर हो चुका है। वर्ष 1998 में रूस भी डिफाल्टर घोषित हो चुका है। इसी तरह से वर्ष 2003 में उरुग्वे और 2005 में डोमिनिकन रिपब्लिक और वर्ष 2001 में इक्वेडोर डिफाल्टर घोषित हो चुके हैं। प्रो पंत ने कहा कि इस वर्ष श्रीलंका के अलावा लेबनान, रूस, सूरीनाम और जाम्बिया समय से कर्ज चुका पाने में विफल रहे हैं। बेलारूस भी जल्द ही इस कगार पर पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा दुनिया में करीब 13 मुल्कों पर इस तरह का खतरा मंडरा रहा है।
आइएमफ के सहारे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था
इस क्रम में पाकिस्तान को लिया जा सकता है। पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता के दौर से भले ही निकल गया हो लेकिन उसके आर्थिक हालत नाजुक है। उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से आइएमएफ यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पर टिकी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए तैयार हो गया है, लेकिन वैश्विक बाजार में तेल की बढ़ती कीमतों के चलते पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार पर भारी दबाव है। पाकिस्तान में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की नई सरकार पर इसका जबरदस्त दबाव है। शरीफ सरकार को अब तेजी से खर्चों में कटौती करने की जरूरत है, क्योंकि वह अपने राजस्व का 40 फीसद सिर्फ ब्याज भरने के लिए खर्च कर रही है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 9.8 अरब डालर तक गिर गया है। यह पांच हफ्ते के आयात के लिए भी नाकाफी है।
इन मुल्कों पर लटक रही तलवार
प्रो पंत का कहना है कि जंग के चलते यूक्रेन की हालात जर्जर हो चुकी है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिन यूक्रेन के लिए संकट भरा हो सकता है। प्रो पंत ने कहा कि इसी तरह से अर्जेंटीना में विदेशी भंडार की गंभीर कमी है। अर्जेंटीना के पास वर्ष 2024 तक काम करने के लिए पर्याप्त कर्ज नहीं है। अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया भी संकट के दौर से गुजर रहा है। राष्ट्रपति कैस सैयद को आइएमएफ से कर्ज लेने या कम से कम उसके साथ बने रहने में मुश्किल हो सकती है। हालांकि, इस चिंता में कई अफ्रीकी देश हैं, लेकिन ट्यूनीशिया सबसे अधिक जोखिम में है।
ट्यूनीशिया में बजट घाटा 10 फीसद पहुंच गया है। घाना की स्थिति भी नाजुक है। घाना पहले से ही राजस्व का आधा से अधिक कर्ज के ब्याज भुगतान पर खर्च कर रहा है। यहां महंगाई भी 30 फीसद के करीब पहुंच गई है। यही हाल मिस्र का है। मिस्र के पास अगले पांच वर्षों में भुगतान करने के लिए सौ अरब डालर का कर्ज है। इसमे 2024 में 1.3 अरब डालर का बांड भी शामिल है। कीनिया, मिस्र, ट्यूनीशिया और घाना सबसे मुश्किल स्थिति में हैं] क्योंकि रिजर्व की तुलना में कर्ज ज्यादा है।