- इसराइल और फ़लस्तीनी हथियारबंद इस्लामिक चरमपंथी संगठन हमास के बीच जारी ख़ूनी संघर्ष को लेकर इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी ने रविवार को आपातकालीन बैठक बुलाई है.
यरुशमल और गज़ा में टकराव के कारण हालात बदतर हैं और इसी को देखते हुए सऊदी अरब के अनुरोध पर ओआईसी ने यह बैठक बुलाई है.
इस बैठक में ओआईसी सदस्य देशों के विदेश मंत्री शामिल होंगे. ओआईसी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि फ़लस्तीनी क्षेत्रों में इसराइली हमले पर बैठक में बात होगी. इसराइल की सेना अब गज़ा सीमा पर पहुँच गई है. दूसरी तरफ़ हमास रॉकेट से इसराइली शहरों पर हमला कर रहा है. मध्य-पूर्व में इसे लेकर बहुत तनाव की स्थिति है. यूएन ने बढ़ते तनाव को देखते हुए युद्ध की आशंका जताई है.
युद्ध की आशंका
अमेरिका ने इसराइल में अपना दूत भेजने की घोषणा की है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि अमेरिका सऊदी अरब और मिस्र से संपर्क में है ताकि तनाव को कम करने का कोई रास्ता निकाला जा सके.
गुरुवार को व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन प्साकी ने कहा था कि मिस्र, ट्यूनीशिया और अन्य देश वर्तमान हालात में तनाव को कम करने में भूमिका अदा कर सकते हैं.
रविवार को आपातकालीन बैठक बुलाने पर ओआईसी ने अपने बयान में कहा है, ”ओआईसी में इस्लामिक समिट के अध्यक्ष सऊदी अरब के अनुरोध पर रविवार, 16 मई को विदेश मंत्रियों की कार्यकारी कमिटी की वर्चुअल बैठक होगी. इसमें फ़लस्तीनी इलाक़े में इसराइली आक्रामकता पर बात होगी. ख़ास कर अल-क़ुद्स अल शरीफ़ और अल-अक़्शा मस्जिद में हिंसा पर बातचीत केंद्रित रहेगी.”
इससे पहले इसी हफ़्ते 12 मई को ओआईसी के स्थायी प्रतिनिधियों की कमिटी की वर्चुअल बैठक हुई थी. इस बैठक के बाद ओआईसी की तरफ़ से बयान जारी किया गया था. अपने बयान में ओआईसी ने कहा था कि फ़लस्तीनी इलाक़े में इसराइली कब्ज़े और ख़ास करके अल-क़ुद्स अल-शरीफ़ को लेकर बात हुई.
OIC इसराइल को लेकर सख़्त?
ओआईसी ने कहा था, ”हम फ़लस्तीनियों पर इसराइली हमले और कब्ज़े की कड़ी निंदा करते हैं. रमज़ान के महीने में फ़लस्तीन के लोगों पर हमला किया गया और यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है. रमज़ान के महीने में मुसलमानों के लिए पवित्र अल-अक़्शा मस्जिद में जाने से फ़लस्तीनियों को रोका गया. मस्जिद में इसराइली बलों ने क्रूरता दिखाई और नमाज़ियों पर हमला किया. हम इसराइल के उपनिवेशवादी प्रोग्राम की भी निंदा करते हैं. यरुशलम से फ़लस्तीनी परिवारों को निकाला जा रहा है और ये अस्वीकार्य है. इसराइली कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है.”