सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी है। एक व्यक्ति ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल करके आरोप लगाया था कि कोयंबटूर स्थित ईशा फाउंडेशन परिसर में उसकी दो बेटियों को बंधक बनाकर रखा गया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दोनों महिलाएं बालिग हैं।
पिता ने लगाया था ब्रेनवॉश करने का आरोप
सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस कामराज ने मद्रास उच्च न्यायालय में ईशा फाउंडेशन के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। पिता ने आरोप लगाया था कि उनकी दो बेटियों को ब्रेशवॉश करके आश्रम में रखा गया है। बड़ी बेटी गीता की उम्र 42 और छोटी बेटी लता की उम्र 39 साल है। इसके बाद 30 सितंबर को मद्रास हाईकोर्ट ने ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी आपराधिक मामलों की जांच करने और रिपोर्ट पेश करने का आदेश तमिलनाडु पुलिस को दिया।