नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता यूसुफ मलिक के खिलाफ राजस्व बकाया मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कार्यवाही को रद्द कर दिया है। अदालत ने इस फैसले को लेकर यूपी सरकार को फटकार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी व्यक्त करते हुए राज्य सरकार को कहा कि इस तरह से एनएसए लगाना दुरुपयोग के समान है। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक प्रकृति के मामलों में एनएसए लागू नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने नेता पर लगाए गए एनएसए को इस टिप्पणी के साथ रद्द कर दिया।
एनएसए की कार्रवाई को करते है रद्द
जस्टिस संजय किशन कौल और एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यूसुफ मलिक के खिलाफ की गई एनएसए की कार्रवाई को हम रद्द करते हैं और उसे तत्काल मुक्त करते हैं। पीठ ने 10 अप्रैल को सपा नेता को तुरंत रिहा किया जाने का आदेश सुनाया।
साथ ही उन्होंने हैरानी जताते हुए सवाल किया कि ‘क्या यह एनएसए का मामला है?’ हम काफी हैरान हैं कि संपत्ति के लिए राजस्व की वसूली के मामलों में एनएसए लगाया जा रहा है। पीठ ने यह कहते हुए राज्य के वकील से पूछा कि यही कारण है कि राजनीतिक प्रतिशोध के आरोप सामने आते हैं।
इस मामले में लगा था NSA
बता दें कि याचिकाकर्ता को पहले दो अलग-अलग प्राथमिकी में जमानत दे दी गई थी, जिसके आधार पर पुलिस प्राधिकरण ने एनएसए के तहत उसके खिलाफ कार्यवाही शुरू करने के लिए आवेदन किया था। बता दें कि सपा नेता युसुफ मलिक के खिलाफ अतिरिक्त नगर आयुक्त को कथित तौर पर धमकी दिए जाने के मामले में एनएसए लगाया गया था।
एनएसए लगाए जाने के बाद युसुफ मलिक ने कोर्ट में चुनौती दी और अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को मनगढ़ंत बताया था। सपा नेता ने कहा था कि उसे झूठे मामलों में फंसाया गया है। इसके बाद ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
सपा नेता ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को राज्य ने ‘कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग’ करते हुए दो मामलों में झूठा फंसाया गया है। पुलिस ने राजनीतिक कारणों से सपा नेता पर एनएसए की धारा 3 (2) के तहत कार्रवाई शुरू करने की सिफारिश की। यूसुफ मलिक को 24 अप्रैल, 2022 को हिरासत में लेने का आदेश जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किया गया था।