- यदि टीके से हर्ड इम्युनिटी विकसित करनी है तो 130 करोड़ में से 70 फीसद आबादी (करीब 91 करोड़) को तीन माह में टीका लगाना होगा। 91 करोड़ लोगों को दोनों डोज लगाने के लिए करीब 200 करोड़ डोज टीके चाहिए। क्योंकि इसमें से 10 फीसद डोज बर्बाद भी हो सकती है। इस वक्त इतना टीका पूरी दुनिया में नहीं है। ऐसे में भारत में टीके से अभी बीमारी को नियंत्रित करने की उम्मीद नहीं की जा सकती। हर्ड इम्युनिटी एक सोच है। इस सोच से फिलहाल बाहर निकलना होगा। क्योंकि इतने टीके अभी उपलब्ध नहीं है। भारत इजरायल जैसा छोटा देश तो है नहीं, जहां कुछ ही दिन में पूरी आबादी को टीका लगा दिया जाए। भारत की 130 करोड़ आबादी में से 60 से 70 फीसद आबादी को तीन महीने में टीका लगा पाना भी आसान नहीं है।
टीकाकरण अभियान शुरू हुए करीब साढ़े तीन माह हो चुके हैं। अभी तक करीब 12.60 करोड़ लोगों को टीके की पहली डोज व करीब पौने तीन करोड़ लोगों को टीके की दूसरी डोज लग पाई है। ऐसे में टीके की उपलब्धता के अनुसार उसका बेहतर इस्तेमाल करना होगा। इसलिए जिन्हें गंभीर बीमारी और मौत होने की संभावना अधिक है उन्हें टीका लगाना ज्यादा जरूरी है। ऐसे लोगों की आबादी भी करीब 40 करोड़ है, जिनकी उम्र 45 साल से अधिक है। उनके लिए भी करीब 85 करोड़ डोज टीके की जरूरत है। कोरोना की इस घातक लहर में भी देखा जा रहा है कि जिन लोगों को दोनों डोज टीका लग चुका है उनमें से कुछ ही लोगों को संक्रमण हुआ लेकिन गंभीर बीमारी के मामले ना के बराबर हैं। इसलिए टीके से संक्रमण को नहीं लेकिन बीमारी की गंभीरता और मौत को रोक सकते हैं।