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‘सरकार ने एक करोड़ की सहायता दी’, राहुल गांधी के दावे की खुल गई पोल! अग्निवीर के घरवालों ने बताई सच्चाई


 बुलढाणा (महाराष्ट्र)। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अग्निवीरों का मुद्दा उठाया। कांग्रेस नेता ने सदन में दावा किया कि अग्निवीरों के वीरगति प्राप्त होने पर उनके परिवार को कुछ भी नहीं मिलता है।

इस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल के दावे को झूठा करार देते हुए कहा कि सदन को बताया कि हर बलिदानी अग्निवीर के परिवार को 1 करोड़ रुपया दिया जाता है। वहीं अब इस दावे का खुलासा खुद एक अग्निवीर के परिवार ने किया है जिसके बाद राहुल गांधी के दावे का खुलासा हो गया है।

राहुल गांधी के सवालों का दिया रक्षा मंत्री ने करारा जवाब

पिछले साल ड्यूटी के दौरान शहीद हुए महाराष्ट्र के अग्निवीर के परिवार ने कहा है कि उन्हें सरकार से 1.08 करोड़ रुपये की सहायता मिली है। परिवार का बयान तब आया जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि ड्यूटी के दौरान अपनी जान देने वाले अग्निवीर को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलता है।

‘अग्निवीरों को इस्तेमाल करो और फेंक दो’

राजनाथ सिंह संसद में तब बोल रहे थे जब लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना का जिक्र करते हुए दावा किया था कि सरकार अग्निवीरों को “इस्तेमाल करो और फेंक दो मजदूर” मानती है और उन्हें “शहीद” का दर्जा भी नहीं देती है।

अग्निवीर अक्षय गवते के पिता ने बताई सच्चाई

बता दें कि महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के पिंपलगांव सराय के मूल निवासी अग्निवीर अक्षय गवते की 21 अक्टूबर, 2023 को सियाचिन में ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो गई थी। सोमवार शाम यहां पत्रकारों से बात करते हुए उनके पिता लक्ष्मण गवते ने कहा कि अक्षय गवते की मृत्यु के बाद परिवार को उनके बीमा कवर के रूप में 48 लाख रुपये, केंद्र सरकार से 50 लाख रुपये और राज्य सरकार से 10 लाख रुपये मिलेंगे। पिता लक्ष्मण गवते अपने बेटे की मौत के बाद मिले मुआवजे के बारे में पत्रकारों के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने अक्षय की बहन के लिए सरकारी नौकरी की भी मांग की।

क्या है अग्निपथ योजना?

आपको मालूम हो कि 14 जून, 2022 को घोषित अग्निपथ योजना में साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं को केवल चार वर्षों के लिए भर्ती करने का प्रावधान है, जिसमें से 25 प्रतिशत को 15 और वर्षों के लिए बनाए रखने का प्रावधान है। सरकार ने उस वर्ष बाद में ऊपरी आयु सीमा बढ़ाकर 23 वर्ष कर दी।