कानपुर। खुरासान माड्यूल के आंतकी लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए पहले उनकी आर्थिक मदद करते थे। बाद में इसके बदले वह लोगों से अपने काम निकलवाते थे। आतंकियों को असलहे और कारतूस सप्लाई करने वाले फखरे के बैंक खाते खंगाले गए तो कई लोगों से ट्रांजक्शन निकले थे। जिसमें राजस्थान के सिविल इंजीनियर के खाते से भी कई बार ट्रांजक्शन हुए थे। कई ट्रांजक्शन मिलने से नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) की टीम ने सिविल इंजीनियर को पकड़ा था।
छानबीन के बाद एनआइए टीम ने उसे गवाह बनाया। एनआइए विशेष कोर्ट में सिविल इंजीनयिर के बयान भी दर्ज हुए हैं। मूलरूप से बाड़मेर राजस्थान निवासी भजन लाल विश्नोई खुरासान माड्यूल के आंतकियों के खिलाफ एनआइए विशेष कोर्ट में गवाही देने वालों में एक गवाह है। भजनलाल ने विशेष कोर्ट में दर्ज कराए अपने बयानों में बताया कि उसके पिता भूराराम विश्नोई बीएसएफ में हवलदार के पद पर हैं। उसने 12 तक की पढ़ाई राजस्थान से की है। उसके बाद उसने एक एयर क्राफ्ट मेंटीनेंस इंजीनियरिंग के लिए एक कालेज में दाखिला लिया था, लेकिन कालेज की मान्यता न होने के चलते बीच में ही छोड़ दिया।
फिर उसने सीजीसी कालेज में सिविल इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया था। जहां उसकी मुलाकात तूफान सागर और छेदी चक्रवर्ती से हुई थी। तूफान के साथ वह एक अन्य युवक गोलू से मिला था। कमाई करने के चक्कर में भजनलाल गोलू के यहां सट्टा खेलने लगा। जिसमें वह ढाई लाख की रकम हार गया था। रुपये न होने से उसकी पढ़ाई भी छूट गई। तूफान सट्टे में रुपये नहीं लगाता था, लेकिन उसकी रकम पर दांव खेलकर उसके साथ धोखाधड़ी करता था। जीतने पर वह रकम ले लेता था, लेकिन हारने पर कुछ भी नहीं देता था।
फखरे आलम भी उसी कालेज में पढ़ता था। फखरे आलम से परिचय हुआ और उसको रुपयों की दिक्कत बताई तो उसने रकम वापस कराने का भरोसा दिलाया था। प्रवेश के लिए रुपये न होने पर उसने अपना स्कूटर गिरवी रखकर 60 हजार रुपये उधार लिए थे। बयानों में भजन लाल ने बताया कि फखरे से मिली रकम में 40 हजार रुपये उसने अपने बैंक आफ इंडिया के खाते में जो 20 हजार रुपये छेदी को नकद दिलाए थे।
इसके बाद उसकी शादी तय हो गई तो वह वहां से अपने घर राजस्थान चला आया था। इसके बाद उसने जब फखरे को रकम लौटाई तो उसके भारतीय स्टेट बैंक के खाते में वापस की थी। इसके साथ ही उसने एक अंगूठी भी फखरे को दी थी। भजन लाल ने विशेष कोर्ट में दर्ज बयानों में बताया है कि बाद में फखरे उसके खाते में रकम का आदान प्रदान करने लगा था। फखरे के मांगने पर वह उसे एटीएम के जरिये रकम निकाल कर देता था।