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सीरम इंस्टीट्यूट वैक्सीन डिमांड को पूरा करने के लिए भारत के बाहर प्रोडक्शन शुरू करने की योजना


  • सीरम इंस्टीट्यूट वैक्सीन सप्लाई की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत से बाहर वैक्सीन प्रोडक्शन शुरू करने की योजना बना रहा है. सीरम इंस्टीट्यूट जुलाई के अंत तक अपने मासिक उत्पादन को 100 मिलियन डोज तक बढ़ाने का भी प्रयास कर रहा है.

नई दिल्लीः सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया अपने वैक्सीन सप्लाई के कमिटमेंट्स को पूरा करने के लिए दूसरे देशों में भी वैक्सीन प्रोडक्शन की योजना बना रहा है. सीरम इंस्टीट्यूट एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन का निर्माण करता है. भारत में इसका निर्माण कोविशील्ड के नाम से हो रहा है.

सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाल ने टाइम्स न्यूजपेपर को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि अगले कुछ दिनों में इसकी घोषणा की जा सकती है. पूनावाला ने पिछले सप्ताह कहा था कि सीरम इंस्टीट्यूट जुलाई के अंत तक अपने मासिक उत्पादन को 100 मिलियन डोज तक बढ़ाने में सक्षम होगा जबकि पहले इसकी टाइमलाइन मई के अंत तक तय की गई थी. भारत के कई राज्यों में कोविड-19 वैक्सीन की कमी चल रही है. पूनावाल ने कहा कि छह महीने से एक साल के भीतर सीरम इंस्टीट्यूट की उत्पादन क्षमता 2.5 बिलियन से बढ़ाकर 3 बिलियन डोज होने की उम्मीद है.

देश में बढ़ते मामलों से चरमराया स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा
भारत में कोरोना वायरस के मामलों और मौतों में वृद्धि हुई है क्योंकि दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश ने लगातार नौ दिनों से 300,000 से अधिक नए संक्रमण के मामले आए. जबकि शनिवार यानी आज 4 लाख से ज्यादा नए केस आए हैं. कोरोना मामलों में इस उछाल ने पब्लिक हेल्थ संकट खड़ा किया है और सरकार को विदेशों से ऑक्सीजन, दवाइयां और अन्य जरूरी वस्तुएं लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

3-5 मई के बीच कोरोना के पीक पर पहुंचने का अनुमान
सरकार को सलाह देने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार देश में कोरोना वायरस मामले 3-5 मई के बीच पीक पर पहुंच सकते हैं. कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि जब भारत में लगभग 10,000 मामले रोजाना आ रहे थे और उपन्यास कोरोना वायरस नियंत्रण में था तब सरकारों ने प्रतिबंध ढीले कर दिए जिससे बड़े त्योहार और राजनीतिक रैलियां फिर से शुरू हो गए.