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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की राफेल मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका, कही ये बड़ी बात


नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राफेल मामले की कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच की नई याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांसीसी एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर राफेल सौदे की जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार किया है। बता दें कि याचिका राफेल की खरीद में भ्रष्टाचार को लेकर फ्रांसीसी पोर्टल के दावे को लेकर दाखिल की गई थी। याचिका में अदालत की निगरानी में स्वतंत्र जांच के आदेश की मांग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने एडवोकेट एमएल शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है। सप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश दिए जाने के बाद एडवोकेट एमएल शर्मा ने एक और अनुरोध किया और याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बाद के अनुरोध को स्वीकार करते हुए आदेश में बदलाव किया और याचिका को खारिज कर दिया।

अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है- SC

CJI यूयू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट ने एडवोकेट एमएल शर्मा से कहा कि अदालत याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है। पीठ ने कहा इस अदालत के हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है। मुख्य न्यायाधीश ने शर्मा से कहा कि अदालत पहले ही याचिका खारिज करने का आदेश पारित कर चुकी है। वहीं, शर्मा ने कहा कि वह इस मामले में सीबीआई के पास जाएंगे। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी आपको रोक नहीं रहा है।

क्या है मामला

बता दें कि याचिका में राफेल लड़ाकू विमान सौदे में दस लाख यूरो की कथित रिश्वत को लेकर धोखाधड़ी, विश्वास भंग और आपराधिक साजिश के आरोप में एक कथित बिचौलिए के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई थी। शर्मा ने इस महीने की शुरुआत में प्रकाशित एक फ्रांसीसी आनलाइन पत्रिका मीडियापार्ट की रिपोर्ट्स का हवाला दिया। आनलाइन जर्नल ने दावा किया कि उसके पास ऐसे दस्तावेज हैं, जो राफेल जेट का निर्माण करने वाली डसाल्ट एविएशन और उसके औद्योगिक साझेदार थेल्स, एक रक्षा इलेक्ट्रानिक्स फर्म को सौदे के संबंध में हुए लगभग 10 लाख यूरो के भुगतान को साबित कर सकते हैं। शर्मा ने अपनी याचिका में फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन से 36 फाइटर जेट्स खरीदने के सौदे को भारत के संविधान के अनुच्छेद 13, 21, और 253 के उल्लंघन और भ्रष्टाचार का बताया था।