नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल प्रशासन के उस फैसले को खारिज कर दिया है जिसमें दो अंडरपास की देखरेख एक निजी कंपनी को सौंपने का करार बिना कोई कारण बताए निरस्त कर दिया गया था। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह सरकारी मनमानी का क्लासिक केस है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को कांट्रैक्ट रद करने को बरकरार रखने के फैसले को भी दरकिनार कर दिया है। जस्टिस पार्डीवाला ने कहा कि हमारी राय में यह निरंकुशता का क्लासिक केस है।
करार तोड़ने से पहले इसकी वजह बताना जरूरी
खंडपीठ ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि कांट्रैक्ट रद करने का फैसला एक मंत्री के कहने पर लिया गया था। सर्वोच्च अदालत ने आठ मई के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है। फैसला सुरक्षित करने से पहले खंडपीठ ने कहा कि निजी कंपनी से करार तोड़ने से पहले उन्हें इसकी वजह बताना जरूरी है। बिना कारण उसे रद नहीं किया जा सकता है।