नई दिल्ली । पाकिस्तान में पूर्व पीएम इमरान खान पर हुए जानलेवा हमले के बाद राजनीतिक हालात काफी बदल चुके हैं। माना जा रहा है कि ये हमला देश में होने वाले आम चुनावों पर जबरदस्त असर डाल सकता है। हालांकि, इसके उलट एक सच्चाई ये भी है कि जिस तरह से इमरान खान ने फौज, आईएसआई, चुनाव आयोग और अमेरिका को अपना दुश्मन बनाया है उससे ये दांव उलट भी पड़ सकता है। जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान में कोई भी नेता और सरकार फौज से दूरी बनाकर नहीं रह सकती है। इसलिए ये स्पष्ट है कि सरकार किसी की भी बने उसमें फौज का निर्णय आखिरी होता है।
कभी फौज की पसंद थे इमरान
इस बारे में पाकिस्तान की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले वरिष्ठ विश्लेषक कमर आगा मानते हैं कि इमरान खान जब सत्ता के शीर्ष पर बैठे थे तब वो भी फौज के जरिए ही आए थे। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि फौज की मिलीभगत ने इमरान खान को पीएम बनाया था। ये भी सही है कि जब वो हटाए गए तो फौज का उनके प्रति विश्वास समाप्त हो चुका था। इसलिए पाकिस्तान में फौज सरकार से अधिक ताकतवर रही है। पाकिस्तान का इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि वहां पर सैन्य शासन ही सफलता पूर्वक चला है। लोकतांत्रिक सरकार ने आज तक भी वहां पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया।
पाकिस्तान में फौज सरकार से अधिक मजबूत
मौजूदा समय में जिस तरह की राजनीतिक परिस्थिति पाकिस्तान में है उसमें भी फौज की स्थिति काफी मजबूत है। हालांकि, ऐसा पहली बार हो रहा है कि वहां पर राजनीतिक उथल-पुथल के बीच सेना अब तक खामोश है और उस तरह का फैसला कोई जनरल नहीं ले रहा है जैसा पहले के कमांडरों ने लिया है। इसके पीछे की वजह को बता पाना फिलहाल मुश्किल है। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि मौजूदा कमांडरों की ख्वाहिशें उस तरह की नहीं हैं जैसी जनरल परवेज मुर्शरफ या उनके पूर्ववर्ती कमांडरों की रही थीं। एक दूसरी वजह ये भी हो सकती है कि सेना के सर्वोच्च कमांडरों को इस बात का ज्ञान है कि पर्दे के पीछे रहकर सरकार पर नियंत्रण बनाना ज्यादा सही है, बजाए इसके कि सामने आकर ये काम किया जाए। इसके नुकसान अधिक होते हैं।
क्या सरकार जल्द करवाएगी चुनाव
आगा मानते हैं कि पाकिस्तान की मौजूदा परिस्थितियों में सरकार इमरान की जल्द चुनाव कराने की मांग तब तक नहीं मानेगी जब तक राजनीतिक स्थितियां उनके अनुकूल नहीं हो जाती हैं। यदि सरकार देश में आम चुनाव की बात मान जाती है तो इसका फायदा इमरान खान को मिल सकता है। सरकार ये कभी नहीं चाहेगी। सरकार के अलावा फौज भी ये नहीं चाहेगी कि देश में आम चुनाव जल्द करवा लिए जाएं। आपको बता दें कि हाल ही में इमरान खान ने आईएसआई प्रमुख पर संगीन आरोप लगाए हैं। इसके बाद से इमरान के प्रति सेना भड़की हुई है। सेना भी नहीं चाहती है कि देश में चुनाव हों और इसका फायदा इमरान उठा लें। इसलिए सरकार और सेना सही समय का इंतजार कर रही हैं।
बढ़ सकती हैं इमरान खान की मुश्किलें
वहीं इमरान खान की बात करें तो आने वाले दिनों में उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उन्होंने अपने ऊपर हुए हमले के लिए पीएम शहबाज शरीफ के अलावा जिन हाईप्रोफाइल लोगों का नाम लिया है वो शांति से न्यायिक प्रक्रिया के चलने का इंतजार करेंगे, ऐसा नहीं होने वाला है। इमरान के इस स्टंट के दूरगामी परिणाम होंगे। इमरान ने ये दांव चलकर अपने राजनीतिक जीवन को भी दांव पर लगाने का काम किया है।